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भाव मरणवल्लहु दुल्लहु सज्जणहं पुरएवहो सुउ णावा
(भाव) व 3/1 अक [(मण)-(वल्लह) 1/1 वि] (दुल्लह) 1/1 (सज्जण) 6/2 (पुरएव) 6/1 (सुअ) 1/1 अव्यय
अच्छा लगता है मन को अच्छा लगनेवाला दुर्लभ सज्जनों के . पुरुदेव
पुव
के समान
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[ अपभ्रंश काव्य सौरम
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