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जीउ
गउ मउ प्रासा-पोट्टल
(जीअ) 1/1 अव्यय (गअ) भूक 1/1 अनि (ग) भूकृ 1/I अनि [(आसा)-(पोट्टल) 1/1] (तुम्ह) 1/1 स अव्यय (सुत्त) भूकृ 1/1 अनि (सुत्तअ) भूकृ 1/1 अनि 'अ' स्वार्थिक [(महि)-(मण्डल) 1/1]
नीवन नहीं विदा हुमा विदा हो गई प्राशाओं की पोटमी तुम नहीं सोये सो गया पृथ्वीमण्डल
तुहुँ
सुन्तु
मुत्तउ
महि-मण्डल
8. सीय
नहीं
आरिणय प्रारिणय जमउरि हरि-वल
(सीया) 1/1
सीता अव्यय (आण→आणिय (स्त्री)→आणिया) भकृ 1/1 लायी गई (आण→आणिय (स्त्री)→आणिया) भकृ 1/1 लाई गई (जमउरी) 1/l
यमपुरी [(हरि)-(वल) 1/1]
राम की सेना (कुद्ध) भूकृ 1/1 अनि
कुपित हुई अव्यय
नहीं (कुद्ध) भूकृ 1/1 अनि
कुपित हुपा (केसरि) 1/1
सिंह
केसरि
सुरवर-सण्ढ-बराइगा सयल-काल
बेचारे देवताओं के समूहद्वारा सभी काल में जो हरिण
मिग
रहे
सम्भूया रावण
[(सुरवर)-(सण्ढ)-(वराई) 3/1 वि] [(सयल)-(काल) 7/1] (ज) 1/2 सवि (मिग) 1/2 (सम्भूय) भूकृ 1/2 अनि (रावण) 8/1 (तुम्ह) 3/1 स (सीह) 3/1 अव्यय (त) 1/2 सवि
हे रावण
तेरे
सोहेण
सिंह के बिना
विणु
अव्यय
ही
वि अज्जु मच्छन्दीहूया
प्राज
अव्यय [(सच्छन्द (स्त्री)→सच्छन्दी) - (य) भूकृ 1/2 अनि]
स्वच्छन्दी, हुए
1. कभी-कभी सप्तमी विभक्ति में भी शून्य प्रत्यय का प्रयोग पाया जाता है। श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का
अध्ययन, पृष्ठ 1471
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[ अपभ्रंश काव्य सौरभ
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