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मुह-कुहरई
ट्ठोट्टई दिट्ठई जमकरणाई
[(मुह)-(कुहर) 1/2]
मुख-विवर [(8)+ (ओटुइँ)]r (8) भूक अनि-(ओट्ठ)1/2] दाँतों से काटे गए होठ (दिट्ठ) भूकृ 1/2 अनि
देखे गये [(जम)-(करण) 1/2]
मृत्यु के साधन अव्यय
मानो (जम) 6/1
यम के (अणिट्ठ) भूकृ 1/2 अनि
अप्रीतिकर
जमहो । अणिट्ठाँ
१. दिल
महन्भुवा भड-सन्दोहें
(दिट्ठ) भूकृ 1/2 अनि (महन्मुव) 1/2 [ (भड)-(सन्दोह) 3/1] अव्यय (पारोह) 1/2 (मुक्क) भूकृ 1/2 अनि (णग्गोह) 311
देखी गई महा-भुजाएँ योद्धाओं के समूह द्वारा मानो शाखाएँ निकाली हुई बड़ के पेड के द्वारा
पारोह
मुक्क
जग्गोहें
10. दिट्ट
उरस्थलु फाडि
चक्के
(दिट्ठ) भूकृ 1/2 अनि (उरत्थल) 1/1 (फाड) भूक 1/1 (चक्क) 3/1 [(दिण)-(मज्झ) 1/1] अव्यय (द) (मज्झत्य) 3/1 दि (अक्क) 3/1
देखी गई छाती फाड़ी हुई चक्र के द्वारा दिन का बीच मानो मध्य में स्थित सूर्य के द्वारा
दिण-मना
मज्झत्थे
अक्क
11. प्रवणियलु
विश्मेण विहजिउ
1(अवणि)-(यल) 1/1] अव्यय (विझ) 3/1 (विहञ्ज) भूकृ 1/1 अव्यय (वि) 3/2 वि (माअ) 3/2 (तिमिर) 1/1
पृथ्वोतल मानो विध्य के द्वारा विभक्त कर दिया गया मानो विविध भागों द्वारा अंधकार मानो इकट्ठा किया गया
विहिं भाएहिं तिमिरु
अव्यय
पुजिउ
(पुञ्ज) भूकृ 1/1
12 पेक्खेवि
(पेक्ख+एवि) संक
1. मह+भुव=महन्भुव
अपभ्रश काव्य सौरभ ।
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