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वणे चल्लाविय अण्णाणे एवहिं
(वण) 7/1 [(घल्ल)+ (आवि) प्रे भूकृ 1/1] (अण्णाण) 3/1 अव्यय (क) 1/1 सवि (त) 4/1 स अव्यय (विमाण) 3/1
वन में डलवा दी गई अजान से अब क्या उसके लिए संप्रदानार्थक परसर्ग विमान से
तहो तणे विमाणे
8.
जो
जो
तेण
डाहु
उप्पाइयउ पिसुणालाव-भरीसिएग
सो
(ज) 1/1 सवि (त) 3/1 स
उसके द्वारा (डाह) 1/1
ईर्ष्या (उप्पाअ→उप्पाइयअ) भूकृ 1/1 'अ' स्वाथिक उत्पन्न की गई
(पिसुरण)+ (आलाव)+(भर)+(ईसिएण)] चुगलखोरों के ईर्ष्या से भरे [(पिसुरण)-(आलाव)-(भर)वि-(ईसिअ)3/1] हुए पालाप से (त) 1/1 सवि क्रिवि
कठिनाई से [(उल्हा→उल्हाव-→उल्हाविज्ज) प्रे व कर्म शान्त किया जाता है 3/1 सक] [(मेह)-(सअ) 3/1]
सैंकड़ों मेहों से अव्यय (वरिस) 3/1 'इअ' स्वार्थिक
बरसने से (द्वारा)
वह
दुक्करु उल्हाविज्जइ
मेह-सएण
वि
वरिसिएण
83.8
7. सोय
भीय सइत्तण-गवें वलेवि पवोल्लिय मच्छर-गन्वें
(सीया) 11 अव्यय (भीय) भूकृ 1/1 अनि [ (सइत्तण)-(गव्व) 3/1] (वल+एवि) संक (प-वोल्ल) भूकृ 1/1 [(मच्छर)-(गव्व) 3/1]
सीता नहीं डरी सतीत्व के गर्व के कारण मुड़कर कहा गया ईया और गर्व से
पुरुष
तुच्छ
8. पुरिस
रिणहीण होन्ति गणवन्त वि
(पुरिस) 1/2 (णिहीण) 1/2 वि (हो) व 3/2 अक (गुणवन्त) 1/2 वि अव्यय
गुरगवान चाहे
62 ]
[ अपभ्रंश काव्य सौरम
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