________________
14. मारिउ
ताम जाण कयनाएं
(मार-→मारिअ) भूकृ 1/1 अव्यय (जाण) विधि 3/1 सक (कयन→(स्त्री) कयना) 3/1 (खद्धअ) भूकृ 1/1 अनि 'अ' स्वार्थिक (मिल+इवि) संकृ [(सुणह)-(समवाअ) 3/1]
मार दिया गया उस समय समझो मार डालने के कारण खा लिया गया मिलकर कुत्ते के समूह द्वारा
मिलिवि सुरबहसमवाएं
15. इय
विसयंधु
इस प्रकार विषयों में अंधा
मूढ
मूढ़
जो
अव्यय [(विसय)+ (अंधु)] [ (विसय)-(अंध) 1/1 वि] (सूढ) 1/1 वि (ज) 1/1 सवि (अच्छ) व 3/1 अक
(कवरण) स-(भंति) 1/1] (त) 1/1 सवि (पलय) 6/1 (मच्छ) व 3/1 सक
अच्छह कवणभंति
रहता है क्या, सन्देह वह
सो
नाश को
पलयहो' पच्छ
पाता है
10.11
1. जंबूसामि
कहारगड साहब वारिणउ कोवि परोहणु वाहा
(जंबूसामि) 1/1 (कहाणअ) 2/1 (साह) व 3/1 सक (वारिणअ) 1/1 (क) 1/1 सकि (परोहण) 2/1 (वाह) व 3/1 सक
जंबूस्वामी कथानक कहता है (कहते हैं) वणिक कोई जहाज ले जाता है (ले गया)
गऊ परतीरे पुहइधण-तुल्ला एक्कु जि रयणु किरिगउ बहुमोल्लउ
(गअ) भूकृ 1/I अनि
गया [(पर) वि-(तीर) 7/1]
दूसरे किनारे पर [(पहइ)-(धण)-(तुल्लअ) 1/1 वि 'अ' स्वा.] पृथ्वी के धन के तुल्य (एक्क) 1/1 वि
एक अव्यय (रयण) 1/1 (किरण→किणिअ) भूक 1/1
खरीदा गया (बहुमोल्लअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक
बहुमूल्य
रत्न
1. कभी-कभी द्वितीया विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हे.प्रा.व्या. 3-134)।
108
]
[ अपभ्रंश,काव्य सौरभ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org