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स्नेह
नहीं
संधइ संघ गणि
(णेह) 2/1 अव्यय (संघ) व 3/1 सक (संध) व 3/1 सक (गुण) 7/1 (सर) 2/1
रखता है रखता है धनुष की डोरी पर बारण
कार्य
नहीं
3. कज्जु
(कज्ज) 2/1
अव्यय बंधइ
(बंध) व 3/1 सक बंधइपरियरु→परियर बंधइ [(परियर) 2/1, (बंध) व 3/1 सक] संधि
[संधि) 2/1
अव्यय इच्छा
(इच्छ) व 3/1 सक इच्छइ
(इच्छ) व 3/1 सक संगरु
(संगर) 2/1
करता है कमर कसता है संधि नहीं चाहता है चाहता है
युद्ध
पहुं
पेच्छा पेन्छइ
(तुम्ह) 2/1 स अव्यय (पेच्छ) व 3/1 सक (पेच्छ) व 3/1 सक [(भुय)-(बल)2/1] (आणा) 2/1 अव्यय (पाल) व 3/1 सक (पाल) व 3/1 सक [(गिय) वि-(छल) 2/1]
तुमको नहीं देखता है देखता है भुजाओं के बल को प्राज्ञा को
भुयबलु आरण
नहीं
पाल पालइ रिणयछलु
पालता है पालता है अपनी दलील को
माणु
छंड भयरसु
(माण) 2/1 अव्यय (छंड) व 3/1 सक (छंड) व 3/1 सक [(भय)-(रस) 2/1] (दइव) 2/1 अव्यय (चित) व 3/1 सक (चित) व 3/1 सक (पोरिस) 2/1
स्वाभिमान नहीं छोड़ता है छोड़ता है भय का भाव प्रारम्ध को नहीं विचारता है विचारता है पुरुषार्थ को
व्य
चित चितइ पोरिसु
6.
संति
(संति) 2/1
शान्ति
88
]
[ अपभ्रंश काव्य सौरभ
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