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जीवन की परख
लिए किस प्रकार के जीवन त्याज्य हैं, किस प्रकार का जीवन ग्राह्य है ? एकान्त अर्थ और एकान्त काम से युक्त जीवन कितना विषम और दुःखद होता है तथा धर्ममय जीवन कितना शान्त, सुखद और संरस होता है ? कुलाचार की दृष्टि से जीवन निर्माण के लिए क्रोधादि चार कषाय, सप्तकुव्यसन, हिंसा आदि पाप, तथा कृपणता, दीनता, आदि अधर्म त्याज्य हैं, और क्षमा, नम्रता, सरलता और संतोष तथा अहिंसा आदि धर्म, उदारता सहानुभूति आदि नैतिक गुण आदि उपादेय हैं । विवेकी जीवन और मूर्ख जीवन, धार्मिकजीवन पापीजीवन, इत्यादि अनेकविध जीवनों को परखने के लिए गौतमकुलक में सुन्दर मार्ग निर्देश किया है। इसी प्रकार इसमें साधु जीवन और सद्गृहस्थ जीवन दोनों की विशेषताएँ भी बता दी हैं । गृहस्थ के लिए अपनी वर्तमान स्थिति में साधु - जीवन ज्ञेय तथा साधु के लिए गृहस्थ जीवन हेय हैं । कुल मिलाकर गौतमकुलक में अनेकविध जीवनों को परखने का विवेक दे दिया है । पाश्चात्य विद्वान फिलिप्स ब्रुक्स के शब्दों में
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"Be such a man and live such a life that if every man were such as you, and every life a life like yours, this earth would be God's paradise."
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ऐसे आदमी बनो और ऐसा जीवन जीओ, कि अगर प्रत्येक व्यक्ति तुम्हारे जैसा हो और तुम्हारे जीवन जैसा ही प्रत्येक व्यक्ति का जीवन हो, जिससे कि यह धरती परमदिव्य स्वर्ग बने ।" गौतमकुलक इसी प्रकार का जीवन- सन्देश देता है कि तुम्हारा जीवन 'सत्यं शिवं सुन्दरम्' से ओत-प्रोत हो कि उसका अनुसरण करके हर व्यक्ति इस संसार में स्वर्ग का निर्माण कर सके ।
जीवन-विद्या: सर्वविद्याओं का मूल
किसी व्यक्ति को मोटर मिल जाना कोई बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात तो है, उसे चलाने, संभालने और बिगड़ जाने पर सुधारने की कुशलता प्राप्त करना । अगर वह व्यक्ति मोटर चलाना नहीं जानता है तो या तो वह मोटर को उलटी-सीधी चलाकर उसकी मशीन तोड़ देगा, या कहीं वह दुर्घटनाग्रस्त करके अपने ही हाथ पैर आदि तोड़ लेगा । इसके विपरीत यदि उसे मोटर चलाना, सँभालना या सुधारना आता है, किन्तु उसके पास निजी मोटर नहीं है, तो भी वह ड्राइवर या मिस्त्री का धंधा करके अपना गुजारा चला सकता है ।
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मानव जीवन भी एक बहुमूल्य मोटर के समान है। इसकी विशेषता यह है कि इस जीवनरूपी मोटर को चलाने के लिए दूसरे किसी ड्राइवर को रखने से काम नहीं चलता, इसे चलाने के लिए तो स्वयं ड्राइवर बनना पड़ता है । सर्वप्रथम इस जीवन रूपी गाड़ी को भली-भांति परखने की जरूरत है कि यह गाड़ी कहीं टूटी-फूटी खराब या बिगड़ी हुई तो नहीं है कि रास्ते में ही धोखा दे दे ? यह जीवन गाड़ी ऐसी
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