Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 519
________________ आगम शब्दकोश पुढविक्काइय ६४,८४, ८८, १३४,१३५, ६।९० ८।३३४, ३३८% ४८५,४६४,४६६,५११४०, १४१, १७८, १७६;६।६, ६।२५१, २५२; १११७८ से ८१, १११, १६१, ८, ६, १२८; ७२, ७३, ८२ से ८६; ६७, ८, ११, १२।१७; १३३६१,६२ से ७३, ८७, १३३; १६२,६, ६२,७२; १०१८, ६,१५३. भ. १७६ से ८०; २२२, ७,६३,६४११७; १७१५से ६,५१,५६, ५७, ५६% ५,७८, ६।१३, ६०,१२४,१२५;७।९७, १४१,१५०%; १८।२००. पण्हा०२।१३ ८।३, ४, १८, २७, ३२, ३५, ११६, १२४; १२।१४०, पुट [पृष्ट] आ० ६।११७. आ० चू० ३।४५.सू०१।२।३५; २०८; १४१३३, १२८; १६१२२, ३०, ३१; १७।१४, १।३।१६; १।४।२८; १।५।२; १।१०।१६; १।१२।३; १५; १८।५७, ६० से ६२, ८७, १०३, १२७, १८५, १११३।४; २।२।१३. ठा० ४।२२, ४६७, ८१४३ १८६, १८६; १६।२४ से २७, ३०, ३३ से ३६, ६१, नाया० १११११५६, १६७; ११३।१६ ७८, ६३, २०१४३,६२, ६६, १००,११०२४।१६८, पुट्ठ [पुष्ट] नाया० १।३।५ १८१, १८७, २०२, २३१, २४६, ३००; २६।१७; पुटुलाभिय [पृष्टलाभिक] सू० २।२।६६. ठा० ५।३८. ३०१६, २७, ३३।१७,४३,३४११, २, ४, ६, ८, १०, पण्हा० ६६ ११, १३ से १५, १७, १८, २३ से २७, २६, ३१, ३२, पुट्ठसेणिया [स्पृष्टश्रेणिका] सम० प्र० १०१, १०४ ३४, ४३, ५१, ६४, ६५ पुट्ठा [पृष्ट्वा ] आ० ८।२५ पुढविकाइयउद्देसय [पृथ्वीकायिक द्देशक ] भ०२४।२४५ पुट्ठापुट्ठ [स्पृष्टास्पृष्ट] सम० ८८।२; प्र० ११० पुढविकाइयत्त [पृथ्वीकायिकत्व] ठा०२।१७५; ६।६; पुट्टि [पुष्टि ] पण्हा० ६।३ ६८. भ० ६।८८, १०४, ११६,१२४, १२५; १२।६०, पुट्टिया [पृष्टिजा] ठा० २।२०, २२; ५११६ ६५, १३४, १३५, १४०, १४२, २०१४३, ४४,४६, पुड [पुट] उवा० २।२१ ४७; ३४२, ४, ७, १०, ११, १४, १५, १६, २३ से पुडय [पुटक] भ० ३।१०२. उवा०२।२१ २५, २६, ३१, ३२ पुडपाग [पुटपाक] विवा० १।११५५ पुढविकाइयत्ता[पृथिवीकायिकता] ठा०२।१७५ ; ६।६; पुडवाय [पुटपाक] नाया० १।१३।३० ६।८, १२ पढवि [पृथ्वी] आ० १।१६, २२, २७, ३३, ३४, ८५; पुढविकाय [पृथिवीकाय] आ०चू०१।६२; २।४१,४२; ६।१।१२.भ०१।२६८।१।३।८४,५॥६२; ६।८७;७।६, १५५४२.सू०२।११५६;२।२।४०; २।४।१०.भ०१।४३७, ७, ८७, २०, २८, ३६, २८७, २८८, २६०, ३६०से ४३६; २१८३, १८५, १८७; ६।७१, ८२,७४२२८ ३६२, ३६५, ४००; ११।३०, ३१, ६२; १२।१।१, पुढविकाल [पृथ्वीकाल] भ० ८।३८४ १७१ ; १४।१४७ से १४६, १५२; १७।१।११६।३३; पुढविक्काइय [पृथ्वीकायिक] ठा०१:१७७.भ० १।१६४, २४।२८,३०, ३१, ३३; २४।२८, ३०, ३१, ३३, ३४, १६५, २१४, २४६, २४७; ५२४३; ६।१३, ६३; ३६,४१,४२,४५, ४८,५१, ५७, ६३, ६६, ७२,७६, ७।१०५,८१३६से ३६, ५१ से ५३, १०७,११८,१२०, ८८,१०६, ११०,१३३, १६५, २३८, २३६, २४३, १२७, ३६८, ३७०, ३७४, ३७८,३८१, ३८४,६८१, २६५, २६६, ३४६; ३११६,६।१, १२, १३, १८, २१, ८३, १२०, १२६,२५३ से २५५,२५७,२५६१२।६१, २४, २७, ४१; ३२।४ ११५, १४०; १३।४६, ८४, ८५; १४१२०, ६३; पुढविअभिसमण्णागय [पृथिव्य भिसमन्वागत] सू०. १२१८६; १७।६७ से ७०,७२,७४,७८, ८२:१८८६, २२१२३४ १६१५, १६, २१, २४,२८, २९, ३४,५५, ५६,७७; पुढविकाइय[पृथ्वीकायिक] सू० २।४।३, १७, २१.ठा० २०१४३ से ४८,६०, ६६, १०७, १०८, ११०,११४, १११५२; २११२३, १२८, १३३, १३६, १४५, १५५, ११५, ११८,२४।१६३,१६५,१६६,१६८,१७७,१८३, १७५; ३।६१,३२७,४८६; ४।३६६, ३७०,४८३ से १८४, १६३, १६६, २०६, २११, २१३, २१५, २१८, ५०४ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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