Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 743
________________ समाहिय आगम शब्दकोश समुक्कस ६।२५; १०।२५ समिय[शमित] आ० ५७१; ८।८।१४. ठा० ४।४२७ से समाहिय [समाख्यात] आ० चू० १६।४ ४२६. नाया० १६६६१।१७।२२, २८ समाहिय[समाहित] आ० ४१३३, ६।३; ८।१०५,१२५; समिय[समित] आ० ४।४१; ५।७५; ६।२।१०; ६।३।१; ८।८।१४; ६।२।४. आ० चू० १६।५. सू० १।२।२६, ६।४।१६. आ० चू० ११२०, ३०, ४१, ४८, ६०, ८६, ३४; १।३।५६, ६६, ८१; ११५।११; १।६।२६; १०३, १२०, १२६, १३७, १५६; २।२६, ४३, ७७; १।११।२५. पण्हा० ६।२० ३२२३,४६, ६२, ४।१८, ३६,५४०,५१, ६।४३, समि[शमी] अणु० ३।४१ ५६; ७।२२,५८, ८।३१६।१७; १०।२६; ११२२०; समिइ[समिति] सम०३६।१;प्र०८६,६६.भ०११।१२८. १२।१७; १३१८०; १४१८० १५१४४, ४७. सू० __पण्हा० ६।३, ६ १।१।८८,१३७६; १।१६।३,६,२।१।७२,२।३।१०२; समिक्ख[समीक्ष्य] सू०१।६।४. २।६।१८. भ० २।५५, ११२, ११३. पण्हा०८।११; समिक्खा [समीक्षा]सू० १।६।१ १०।११, २३ समिक्खित[समीक्षित] पण्हा० ७।१७ समिय[समित']नाया० १।८।६६; १।१७।२२, २८ समिक्खिय[समीक्षित]पण्हा० ७।१४ समियं [सम्यक् ] आ० ५।६६. पण्हा० ६।२०; ८।१२ समिच्च[समेत्य] आ० ४१२ समियदंसण[सम्यक्दर्शन] आ० ६।४६, १०० समिडिय[समधिक] भ० १४१३७ समियभाव [शमितभाव] पण्हा० १०।११ समिड्ढीय[समधिक] भ० १०।२५, ३३ से ३६ समिया [शमिता, समता] आ० ५।४०; ८।३१. सू० समित [ समित] आ० २।५३; ३।३८;४१५२.ठा०२।१७० १।१४।२४; २।४।४ से १७२; ६।६२. भ० १।३१४, ४४२, ४४३,३।१४३ समिया [सम्यक् आ० ४।२६; ५।२७, ६६,६७, १०६; से १४६, १४८; ६.२०, २२, १३२, १३४,१२।२१, २।१५. आ० ० २।४४,४१३, ५, ३८. भ०२।११० १६६; १७।३७,१८१५२. पण्हा० ६३६ समिया[समिता] भ० ३।२८० समित [श मित] ठा० ४।४२६ । समिरिईय[समरीचिक] भ ० २।११८ समितरय[समितरजस् ] पण्हा० १०।११ ४॥३३८. सम०प्र० १४४, समिता[समिता] ठा० ३।१४३, १४४, १४६, १५८ १५० समिति समिति आ० च०१५॥३६. सू०१।१४।५. ठा० समिहा[समिधाभ० १११६४. अंत० ३१८६ ३१८७; ५।२०३; ८।१७. भ० १३।१२०. नाया० समीकत[समीकृत] सू० १।३।२५ १२१६।३०३. पण्हा० ८।१२; ६।११०।१, ११ समीकर [समी+क] समीकरेहिति, भ० ७.११७ समिद्ध [समृद्ध] सू० २।७।१. ठा० ६।२२।१४. भ० समीर [सं+ ईरय] समीरए, आ० ८।८।१७ ३।२६६; ११६५७; १२।१६५; १३।१०२; १५॥१५, समीरिय[समीरित] आ० चू० १६१८ ७६. नाया० १।३।३; ११५१४,११५।४. अणु०११६ समीरिय[समीयं] सू० ११५२४३ ३।४. पण्हा० २।१३३१८४।४ से ६; १०।२. विवा० समीव[समीप]सम०प्र०६७ १११।१०,४३, ४५; १।२।२, १७,१।३।२,१७,१।४।२; समीह[समीक्ष्य] स ० १।१४।१७ ११५।२, ११, ११६।६; १७।१३; १।६।२, ७; २।१।४, समीह[सं+ ईह.] -समीहते, सू० १८।११ ५,१७ समीहिय[समीहित] सू० १।२।३० समिद्धि [समृद्धि] सम० प्र० ६६. नाया० १।११।१०।७. समुक्कस [सं+उत्+कृष] —समुक्कसे, सू०२।२।११. पण्हा० ६३ समिय [सम्यक् ] सू० १।६।४; १।१४।१५ १. गेहूं का आटा। • ७२८ से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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