Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 796
________________ सेय अंगसुत्ताणि शब्दसूची सेलवाल २३७, २५६, २७४, २७५; २१११२६. अंत० ३।६०, सेयट्टि [ श्वेतास्थि] पण्हा०६।३ १४. विवा० ११७।२१; १९४६ सेयण [स्वेदन] नाया० १।१३।३० सेय [स्वेद] आ० चू०१३।३५, ७२, १४१३५, ७२. भ० सेयण [सेचन] विवा० ११११५५ १।४६; ३।११४; ९।१६८. नाया० १।१।१०५; सेयणपह[सेचनपथ ] आ० चू० १०।२४ १।१३।२४; १।१६।२८४; २।१।१६. अंत० ३१६७. ।१२१. नाया० ११११३३, ६३, पण्हा० ३३१६, ६।४ सेय [श्रेयस् ] आ० २।१७६; ३१६७; ८।५८. आ० चू० सेयभद्द[श्रेयोभद्र ] विवा० १।५।२ ६।१७; १३।८०; १४१८०.सू०११३।५२,५४,११४१५१; सेविय सेव्य सू०११५४४ १३१४१९, १०. भ० २।३१, ६६३३३३, ११२; ६११, सेयविया श्वेतविकाठा० ७.१४२११ ४; ७२१६; ८/४४६; १११५६; १२१६, ७, १५; सेया श्वेतक] भ० ६।१६०; १३।११७. नाया०शमा ५ १३।११०; १४११०६; १५१८८ से ११, १२६, १७४; सेयासोय श्वेताशोक विवा० २।६।१ १६।५५; १८।१३६. नाया० १।१।४८, ५३, ५६,१५४, सेरियक[सैरेयक] भ० २२१५ १५५, १७४, २०४।१२।१२; ११३।६,१६११५६५, सेल[शैल] ठा० ४।२८३, ३५५. सम०प्र० ६१११, ६६. ११८, १२४, १२६; ११७५६, १०, २२; ११८६६, भ० ५।१८६, २३५; १।२३१; १५२११२. नाया० १२०,१६१; १।६।४, ६, २१, २४,१११२।१६, २६; २१६।३२२, ३२३ ; १।१८।१८. पहा० ३।२३।४।४, ११३।१५, ३६,१११४।२२,५०,५६, ६३, ७२,८२; ५,१३,१०१५. विवा० ११३१६ १।१५।६; १११६।६, ८, १६, १०४, ११८, १६०, नाया० १११।१०११, १ श्रु० ५ अ०; ३२०, ३२३, ११७१५, १६, १।१८।२८, ५४; १॥५४३, ६०, ६१, ६८, ६६, १०२, १०६, १०६, २।१।१२, ३८. उवा० ११५७, ६५; २।४३,५४;३।४२, ११०, ११२, ११४ से ११६, ११६, १२१, १२४; ४४, ५१,४।४२, ४४, ५१, ५।४२, ४४, ५१, ६।२६, १९२६, ३३, ३५,४३, ५०, ५४१३, ७ ३६, ७।१८, ७८, ८०,८७, ८।१८, ३६, ६।२४; सलगपुर [शैलकपुर] नाया० ११५४२, ४४, ८५, ८८, १०१२४. अंत०३१८६६।२२;८।१४. विवा०१।११६०; १।३।३६,४५; ११७.१९% १९१५, ५१ सेल (गिह) [शैलगृह ] ठा० ५।२१, २२. भ०३।२६८ सेय सेक]ठा०५।१६५ सेलगोल[शैलगोल] सू० २।२।५६ सेय [दे०] सू० २।१।१, ६ से १०, १२. नाया० सेल (पत्त) [शैलपात्र] पण्हा० १०॥४ १११६० सेल (पाय) [शैलपात्र ]आ० चू० ६॥१३ सेय[एष्यत् ] सू० २।२।१६ सेलपाल [शैलपाल ] ठा० ४।१२२ 1१७०, १७७ सेलबंधण[शैलबंधन] आ० चू० ६।१४ सेयंकर[श्रेयस्कर] ठा० २।३२५ सेलय [शैलक] सम० १६१३१. नाया० १३०४२, ४५ से सेयंकार[सेकार] ठा० १०६६ ४७, ८६ से ८६, ६२,६४,९६, १००,१०१,१०७, न्स ठा० ४।५२३ से ५२६. सम० १०८, १११, ११३, ११७, ११८, १२०, १२२,१२३, प्र० २४३।१ १२६ से १२८, १३०।११।६।२८, ३०, ३२, ३४,३६ सेयकंठ [ श्वेतकण्ठ] ठा० ५।६० से ३६, ४२,४६ सेयकाल[एष्यत् काल] भ० ३।१४८; ५।११०,१११; सेलयय [शैलकक] ठा० ७।३३ १८।८३; २५।६२० सेलवाल [शैलपाल ] ठा० ४।१५६. भ० ३।२७३; सेयचंदण[श्वेतचन्दन]पण्हा० १०।१६, १८ १८।१३४ ७८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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