Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 759
________________ सहिण आगम शब्दकोश साएय सहिण[श्लक्ष्ण] आ० चू० ५।१४ साइबुद्ध [स्वातिबुद्ध] सम०प्र० २५२१४ सहिणकल्लाण [श्लक्ष्ण कल्याण] आ० चू० ५।१४ साइम [स्वाद्य] आ०८।१,२, २१से२४,२८, २६,७५,१०१, सहित [सहित] आ० ३।३८, ६७, ६६; ४।४१, ५२; ११६से १२१,आ०चू०१।१,११से१७,२१,२३से २५,३६, ५७५. पण्हा०१४।८ ४१,४४,४५,५६,५७,६३,६४,८१, ८४, ८५,८७से६८, १२१, १२३, १२७, १२८, १४१,१४२,१४५२।२८, सहित्तए[सोढुम् नाया०१।१।१०६. उवा० २।४६.अंत० ४८;४२,२३, २४, ६।२६,७१५११।१८, २१११५; ३१३८ १५।१३.सू०२।१।२१,३०, ३७, ४६, ६५; २।२।३१, सहिय[सहित] आ० ६।१।५. आ० चू० ११२०, ३०,४१, ४६,७२; १७१४. सम०२१३१,३३३१.भ०२।६८,६४; ४८, ६०, ८६, १०३, १२०, १२६, १३७, १५६; ३१३३, १०२, ५॥१२४ से १२७, ७८, ६,२२ से २४; २।२६, ४३, ७७, ३।२३, ४६, ६२, ४।१८, ३६% १६३, २०३; ८२४५ से २४७; १११६३, १४३; ५४०,५१, ६।४३, ५६, ७।२२, ५८,८।३१६।१७; १५३; १२।४, ६,७,१२ से १४,१८; १४।१०६,११२, १०।२६११।२०।१२।१७; १३१८० १४१८०. सू० १५।२५, ३२, ३६,४८; १६७१, १८। ४७ से ४६. श२।१३, ५२, ५४, ६६, ७३; ११४११, १११६।३; ठा० ३।१७ से २०; ४।२७४, २८८, ४१५१२ २।११७२,२।३।१०२.ठा०२१३२५. सम०२६/ प्र. ८४२. नाया० ११११३०, ८१, २०६; १।२।१२, १४, ६६.भ०७।२१३,२१८,११११७५,१५।१८२१८।१३५. १५, १७, १८, २०, २३, ३७, ४१,४३, ४५, ४८, नाया० ११३७; १११११८, १८।११, १७,६६, ४६,५२ से ५४,५६,६४,६५,७५, ७६; ११३६, १५, श६४; १११७१५. पण्हा० ११३२, २।१,१६, ४१५, ११५४४७, ५६, ६४, ११७, ११८, १२०:१७।६, २२; ७,८,१०/२३ श८४१, ६६, १८०, १६०, १६६, २००; १।१२।४ सही सखी] सम० ३०।१।३१ से ६, ८, ६, २२; १।१३।२१, ४२; १।१४।१६, १६,३८,३६,४३, ४६,५३, १११५।११, १११६१६, सहीवाय [सखिवाद] सू० १।६।२७ सहेज्जा साहाय्या नाया० १।११।१०।८ ८,१०,१६,५०,५१,५४,७३,७४,७८,६२, ६३,६७, १०३, १५१, १५२, १६६, १७९ से १८१,१८।३३; सहोढ [सहोढ] नाया० ११२१३३ १।१६।२८,४३, ४६; २।१।२६. उवा० ११४५, ५५से सहोदर [सहोदर] अंत० ३।१९, ३०, ४७, ४६ से ५१, ५७, ५६; २०१६, १७, ३।१६, १७, ४११६, १७, ७४,६८, १०२ ५।१६, १७, ६।१६, १७, ७१४०, ४१, ८.१६; सहोयर[सहोदर] अंत० ३।११० ३।१६, १७; १०११६, १७. अंत०६।४१, ८२. विवा० सा[स्वक] नाया० १।८।१६१ १।१।३५; ११३।२४, २८,३२, ४७,५२, ५३, ५८,६०; साइ[साति] नाया० ११२।११; १।१८।१६. पण्हा०५६ श७।२३,२५, २७; १९।२४, २६,३२, ४५ से ४७, साइ[शायिन् ] आ० ६।२।५ ५०,२।१।२२ साइ[साचि] सू० २।२।५८, ५६; २७१२२ साइय [सादिक ] आ० ८।५. आ० चू० १३।१ से ७८; १४।१ से ७८ साइ [सादि] सू० १।६।१७, २।६।२४. ठा० ६।३१. भ० साइरेग [सातिरेक] नाया० १।१।८४; १।५।६; १४१८१ साइ [स्वाति] आ० चू० १५०२. ठा० २।३२३. सम० १।१६।३०८; २।३७ १५२४;प्र० १६६ साउग [स्वादुक] सू० १७१२३, २४ साइज्ज [स्वाद्]-साइज्जति, भ० १५॥१२७. -साइ- साउणि [शाकुनिन् ] पण्हा० २।१२ ज्जामो, भ० १०।१०६.---साइज्जेज्जा,भ० ५।१२६ साउणिय [शाकुनिक ] सू०२।२।१६. ठा० ७।४३।६.पण्हा स साइज्जित्तए[स्वात्मीकर्तुम्] भ० १४।१०६ १।२०. विवा० १।८।११; १।६।५६; १।१०।१६ साउसिण [स्वकोष्ण] भ० १५१६६ १. सहिते-युक्ते लक्षणैरिति गम्यते, सहिके वा क्षमे साएय [साकेत] नाया० २।६।६. अंत०६।६३,६४.विवा० सुजाते सुनिष्पन्ने। २।१०।१ ७४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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