Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 771
________________ सिद्धत्थगाम आगम शब्दकोश सिया सिद्धत्थगाम[सिद्धार्थग्राम] भ० १५१५७, ७३ सिद्धिमग्ग [सिद्धिमार्ग] सू० २।२।५५, ७०, ७४, ७५; सिद्धत्थय [ सिद्धार्थक] नाया० १।१।२५, २७, ११८ २७१८, १६. भ० ६।१७७,२०८. नाया०१।१।११२, सिद्धत्थवण [सिद्धार्थवन] आ० चू० १।२८।१५.भ० ११३. अंत० ३।७२, ७३ १२५० सिप्प [शिल्प] ठा० ५।१६, २०, ७१, १६३ ; ६।२२।७. सिद्धत्था[सिद्धार्था ]सम ० २२१११; २२४।१ भ० १४१३, ८५; १६:५२; १९३४, ३५. नाया० सिद्धवच्छलया [सिद्धवात्सल्य नाया० १।८।१८।१ १।१।२४.उवा० ७.५०. पण्हा० ३।२४।५।५; ७।१४ सिद्धविज्ज[सिद्धविद्य] पण्हा० ७।१० सिप्पि[शिल्पिन् ] उवा० २।२१ सिद्धसेणिया[सिद्धश्रेणिका] सम० प्र० १०१, १०२ सिप्पिय [दे०, पलाल] भ० २१११६ सिद्धातिगुण [सिद्धातिगुण] पण्हा० १०१ सिबिया शिविका भ० ११११५६. नाया० १११६।३१५ सिद्धायतण सिद्धायतन] ठा० ४१३३६ सिद्धाययण [सिद्धायतन] ठा० ४।३४२, ३४३ सिब्भ[श्लेष्मन् ]भ० ७।११६. सिद्धालय [सिद्धालय] ठा० ८।११०. सम० १२।११; सिय[श्रित] आ० १११६ प्र०६४ ५६४ १० ११२।१५. नाया०१८।६७, सिद्धावत्त [सिद्धावर्त] सम० प्र०१०२ ७०; १६।२०।४. पन्हा, ७ सिद्धावास [सिद्धावास] पण्हा० ६॥३ सिय स्यात् आ० चू०२।४४.म: ०प्र०१८४.भ०१६।३,४; सिद्धि[सिद्धि] आ०८१५. सू० ११११७३, ७४;११३।६१; १७१४,५१,५४,१६५,२१से २३,३८से५६ २०११,४, १।६।१७; ११७।१४, १५, १७, १८, १६; २।१२०, २६ से ३६; २५॥४, ५, २२, २५, ३१, ५८ से ६०, २५, २६, ३६,४५, २।५।२५, २६. ठा० ११५१; ६५, ७० से ७२,८०,८२, ८५,८८,६०,१०७,११२, ८।११०; १०।१८. सम० १२।११; प्र० ६०,६४, १२१, १२२, १२४, १२६, १२८, १३०, १३२,१३५, १८२, २४८१५. भ०११२६३, २०२६, २८, ४४,४७, १३६, १७४ से १७७, १७६, १८१ से १८३, १८८, १११, १५३।१; ६।१७४, २०८; १७१४८. नाया० १८६, १६१, १६२, १६५, २१२, २१३, २५८,२५६, १२।१४३, ११७।४४।१४; १।१८।६१. पहा० २।५ २६४, ३५०, ३५३, ४४६ से ४५०, ४६१, ४६२, ५।१०१५, ६।३।२ ४६४,५४८, ५४६;३५१०,११ सिद्धिगइ [सिद्धिगति] ठा० ३।४१८, सम० १।२; प्र० सियकमल [सितकमल] पण्हा० ४।५ १८१. भ०१४।१०६; २५॥३३८, ४०८,५२१.नाया० सिया स्यात् ] आ० चू०१०५२ से ५५, ६०, ६१, ६५ १११७, २०६, २१३; १।३।३५; १७.४४११८७३; से ६७. सू० २।२।५८, ६३,७१. सम० ३३।१. भ. १९।५४; १११३१४२; १११६।२१, ३२७; १।१६।४८; ११४५,४८, १८०,१६१ से १६६, २०६, २६८,२७७, २२१११, १६; २।१०।८. अंत० ६१४१, ८४. अणु० २८०, २८४, ३१३, ३३५, ३४० से ३४३, ३६०, ३७५ ३६४ से ३६६, ३७१,४३६, ४३८, ४४२,४४३; सिद्धिगंडिया[सिद्धिकण्डिका] भ० १११८८, १९८ २१५,११,१२, १४, १५, १७, ५२, १३१ से १३४, सिद्धिगति [सिद्धिगति] ठा० ५।१७५, २१४; ६।११५; १३६, १३७,३४, ५, २६, १४८, १९६; ५।४६ से ८.५५; १०।६८. भ० १७; २।३०, ६८; ७।२०३. ५४, ५७, ५८, ८६ से ६२, ११५, १२८ से १३२, पण्हा० ६१ १३६, १३७, १५० से १५३, १५७, १५६, १६४, सिद्धिगय [सिद्धिगत] सम०प्र० १३ २०५, ६।४, ३५ से ३६, ५५, १७५, १७६, १७८, सिद्धिपह [सिद्धिपथ] सू० १।२।२१. सम० प्र० १२८. १७६, १८१; ७।१, २४, २७, २८, ५८ से ६०, ६६, पण्हा०७१ ६६,७२,९३ से १५,१०३,१५०, १५६, ८.२५८, ७५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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