Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 772
________________ सियाल अंगसुत्ताणि शब्दसूची सिरिवच्छ . २५६, २६१, २६३, २६७, २६८, ४७० से ४७३, १।१७।११, २६; १।१९।१३, ४६; २।१२०, २५. ४८२, ४८६ से ४८८, ४६०, ४६२, ४६३, ४६५, उवा० ११४६, ४८; ७।३४. अंत०३।४६, ८१:५।२२; ४६७, ४६८; १११५, ११२; १२।२२, ५२, ५६, ६।३५, ४१. विवा० १।१६६१।३।४०,४४, ५०, १५६, १६१, २०१, २०६, २०७, २११, २१२,२१४, ५२,५३,५५, ५६,६२; १।४।२८; १।६।३४;१।६।२०, २१८, २२० से २२५; १३३५, २७, ६१, ६३, ६८, ३८,४०, ४५ ७२, ७४, ७६, ७६, ८०; १४।४४, ४८ से ५१; सिरावत्थी[शिरोवस्ति]नाया० १।१३।३० १५१०२,१७।२५, २६,५४, ५७; १८१६, १२, १४, ०१।१३।३०.विवा०१।१०५५ २२, २४, २८, ३०, ६३, १४, ११२ से ११५, १६३, सिरि [श्री] सम०३०११।१६प्र०२३५२१. भ०३।१०६, १९८; १९५५, ५६; २३।१; २५१५६७, ३५१५. ११३; ७।६३; ११३१५६; १५२५७, १४४. उवा० नाया०१।१६।२०० २।२२, २८, ३४; ३।२१; ४।२१; ५।२१; ७।५७; सियाल[शृगाल]आ० चू० ११५२; ३।५६.सू० ११५७१. ८.४१, ४६. अणु० ३।३०, ५२, ५७. पण्हा० ३।२४; नाया० १११११७८; ११८७२. पण्हा० ११६, २६; ४१५ ३११८,१०११६ सिरिउत्त [श्रीपुत्र] सम० प्र० २५४११ सियालखइया[शृगालखादिता] ठा० ४१५७५ सिरिकंत[श्रीकान्त ]सम० १४११५ सियालग[शृगालक] नाया० १।४।६,८ सिरिकता[श्रीकान्ता] ठा०७।६३।१.सम ० प्र०२१६।१. सिर [शिरस् ] आ० चू० १५॥३८. सू० १।५।५, ३५; विवा० २।६।१२।१०।१ रा२।३१. ठा० ४१२४०।२, ५।१७७,२१४,७१४८७, सिरिघर श्रीगहभ०६।१८४,१८५.नाया०१।१।१२२. १०१६६. सम०१२।३।१,३४११.भ०७।११६६।१४६, १२३:१।१६।२६२,२६३, २७८, २७६ १६३; १५३१७६ से १८४. नाया० १११॥३३, १५६, सिरिचंद श्रीचन्द्र ] सम०प्र० २५८।२ १६७,१८७२. पण्हा० ३।५, १२, १७ सिरिदाम [श्रीदामन् ] विवा० १।६।२, ३, ५, २५, ३० सिरय [ शिरस्क] पण्हा० ४।४ ___से ३२, ३४, ३५ सिरय शिरोजापण्हा० ४७,८ सिरियामगंड [श्रीदामगण्ड] सम० २१।११. नाया० सिरवत्यि [शिरोवस्ति] विवा० ११११५५ ११८३०, ३१, ४६, ५७, ५८, ६०, ६२, ६२; सिरसावत्त[शिरसावर्त ] भ० २।६८; ३।१७, ४६, ५०, १।१६।१६२ ११०, १२८; ७।१७, १७५, १८४, २०३, २०४; सिरिदेवी [श्रीदेवो] ठा० १०।११६।१ ६।१४०, १४२, १५६, १८२, १८५, १८६, १८८; सिरिधर[श्रीधर] ठा० ८।३७. सम० ८।८ ११।६१, १३५, १४०, १४३, १४४, १४७, १६५, सिरिभूइ[श्रीभूति] सम० प्र०२५४।१ १६८; १२।३४; १३।११५; १४११०६; १५।१७४. सिरिमहिय[श्रीमहित] सम० १४।१५ नाया० १।१।१६ से २१, २६, ३०, ३६, ४८, ५८, सिरिय[श्रीक] ठा० ६।६२ ६०, ७४, ११८, १२४, १२६, २०६; १।५।१३, २०, सिरियंदलय[श्रीकन्दलक] पण्हा० ११६ ६८, १२३; १।८।४७, ७३, ८१, ६८, १०५, १०७, सिरिया[श्री] सम० प्र० २२१।२ १२६, १३१, १५८, १६०, १६५, १९६, २०३, सिरियाभिसेय[श्रीकाभिषेक] पण्हा० ४।४, ८ २०४; १।६।१७, ३१; १।१३।४२; १।१४।१३, २७, सिरिली [दे०, श्रीली] भ० ७।६६ २८, ३१, ५०; १।१५।१८; १।१६।२१, ४३, १०४, सिरिवच्छ [श्रीवत्स] ठा० ८।१०३; १०।१५०. सम० १३२ से १३४, १३७,१३८,१४२, १५७,१६१, १७०, २१।११;प्र० २४१. भ० ६।२०४. नाया० १११११४३. २१६, २३६, २४४, २४६, २६४, २६५, २६२%; अंत० ३।१६,३०. पण्हा०४१५ ७५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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