Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 744
________________ समुक्किट्ठ अंगसुत्ताणि शब्दसूची समुद्द –समुक्कसेज्जा, ठा० ३।८७ समुट्ठाए [समुत्याय] आ० १।२४.आ० चू०७।१ समुक्किट्ठ [समुत्कृष्ट] ठा० ३।८७ समुट्ठाय [समुत्थाय] सू०२।१।२२ समुक्खित्त [ समुत्क्षिप्त] नाया० १।१८।३५. विवा० समुट्ठित [ समुत्थित] आ०८।३०.सू०१।१३।२;१।१४।२२. ११३।२४,४३ ठा० ३।३६० समुग्ग [समुद्ग] भ०११।१५६. पण्हा०४।७ समुट्ठिय [समुस्थित] आ० २।१०, १०६, ३।४४; ६।३, समुग्गग[समुद्गक] भ० ६।१७३ ७१; ८।१५.सू० १२।१२, १७,४७, ४८; १।३।४६; समुग्गपक्खि [ समुपक्षिन् ] सू०२।३।८१.ठा०४१५५१, २।११४६,५०,५३,७०,२।२।३३,३४,३७,५४,२।६।४६ ___ भ०१५।१८६ ठा० ३१३५६. भ. ६१७२. नाया० १११।१५६, १६८, समुग्गय [समुद्गत] सम० ३५।५.भ० १०।६८ १७८; १९६; १११८११६. पहा० ३७ समुग्गय [समुद्गक] नाया० १।१२७; १।१७।४४।१ समुत्थिय [समुत्थित] नाया० १।१७।६ समुग्धाय समदघात] ठा० २।२५६, ३।३२२, समदय[सम दय आ० ० १५।२७.सम० प्र०६६. भ० ४।६४५, ६।३६७।१३६, ८।११४.स म ०६:५७२ ६।१३२,१३४।६।१७५,१८२; ११।१२८; १५।१३६, समुग्घात [समुद्घात] आ० चू०१५।२८.ठा०७।१३८. १४२. नाया०१।१।३३, ८३,११०, १११, ११२।३४; भ०११३५४, २११११,७४,८०,३१४,५,३८,११२,१५२, १ ५,१११४१५६; १११६।१३८; १११८।२७.अंत० १५४, १५६, १९६; ८।३६५; १११३७, १३।१।१, ३१७०,७१,५।१६. पण्हा०११३५,३१२४,४१५. विवा० १५०, १६८; १५।११२, १८४; १७४८; १६।१८, १४७,११३।३१,३६,११५।२२; १९४७ १६, २२, २०१७; २११७, २४।१।२, २०, ६१, ६६, समदाचार समुदाचार] सू० २।२।५८, २।७।२२ ६६,१२१, १६७, १८४, १६७, २१०, २४१, ३०८; समदाण[समदान] भ०२।१०७ से११०३।३३,१०२; २५।२७८३, ४३५ से ४३७, ४३६, ४४२, ३४।३८, १११७५,७६,१५।१०से १३,१६, २३,२४,३१,३८,४७, ४३, ४६;३५११; ३६।२;४०।३,३६ ८२, ६७. नाया० १११४१४१, ४२; १।१६।१३, ६५; समग्घायपद [ समुद्घातपद] भ०२।७४ १।१६।४३.अणु०३।२४, २६. विवा० १२।१३से १५, समुचिय [समुचित] भ० ६।१७७. नाया० १।१।११२, ११३।१५, १७।७; १८८ ११३. अंत० ३।७२, ७३ समुदाणकिरिया[समुदानक्रिया] ठा० ३।४०४,४०६; समुच्चय [समुच्चय] भ० ८।३५६ ५।१२२ समुच्चयबंध [समुच्चयबन्ध] भ०८।३५६ समदाणचरग[समुदानचरक] सू० २।२।६६ समुच्छ [सं+उत्+छिद्] -समुच्छिज्जिहिंति,सू० ।। समुदाणेऊण[समुदानीय] पण्हा०६।२० २११४.-समुच्छे, सू० १॥२॥३५. -समुच्छेदेति,सू० समुदानचरय समुदानचरक] पण्हा० ६।६ २।१।२२ समुदायार [समुदाचार] नाया० १।१८।१६ समुच्छिण्ण[समुच्छिन्न] पहा०१०।११ समुदिस्स [ समुद्दिश्य ] आ० ८।२१ समुच्छिण्णकिरिय [ समुनिछन्नक्रिय] ठा०४।६६ समुदीरण[समुदीरण] पण्हा ०३।११ समुच्छेद [समुच्छेद] पण्हा० १०५ समुदीरेमाण [ समुदीरयत् ] नाया० १।१७।२२ समुच्छेदवाइ [समुच्छेदवादिन् ] ठा० ८।२२ समुद्द [समुद्र] आ० चू० १५।२७, ३३. सू० १।३।७८; समुज्जाय [समुद्यात] सम० ८६।१, २;प्र०६३ १६।२५; १११११५; २।६।३४, ५५. ठा० ११२४८; समुज्झ [सं + उज्झ् ] -समुज्झइ, नाया० १७।४४।३ २।३२७,३२८,३४६,३५२,३६०,४४७ ; ३।१३३,१३४, समुट्ठा [सं+उत् +ष्ठा] ----समुट्ठज्जा,आ० चू० ३।२६ . ४८१; ४।३३२,३३५, ५८८,५८६,६५२ ; ७।५६,५७, समुट्ठाइ[समुत्थायिन् ] आ०२।३, ४० ५६, ६०, १११,८५८, १२१, १०॥३२, ३३, १६४. ७२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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