Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 636
________________ लट्ठ अंगसुत्ताणि शब्दसूची लवण ६१७, २६, १००; ७।६. पण्हा० ३।२४; ६।४. विवा० १०।२१.-लभिहिइ, विवा०२।११३६. -लभिहिति, १११।१८; ११३।४४; १९१५ से १८; २।१।१५,२३, भ० १५५१८६.–लभे, सू०१।२।१६.-लभेइ,विवा० २५ १२।६४.-लभेज्ज, ठा० २।४१.-लभेज्जा, आ० लद्ध? [लब्धार्थ ] नाया०१शक्षा६७, १२६, १६२,१।६।४, च०१॥३२. ठा० २।४०३. भ०६९ ६; १।१३।१०, १११४।८५; १११८।२४; १।१६।२६; लभित्ता लब्ध्वा आ० ० १११३८,१३६.ठा०३।२४६. २।१।२०. उवा० ११२०,५५,५६; २।१०, ४३; ३३१० भ०१५॥१८६ ४।१०।१०।६।१०,२५; ७।३, १५, ४२;८।११; लभिय[ लब्ध्वा ] आ०८।२. आ० चू० ४।२ ६।१०; १०।१० लभेत्ता [लब्ध्वा ] विवा० १।२।६४ लद्धमइय [लब्धमतिक] नाया० १।१७।१२, १३ लयसम[लयसम] ठा० ७/४८।१३ लद्धय [लब्धक] विवा० १७।२६; १।८।१४ चू० ३।४२; १५।२८. सू० २।२।१२, लद्धलक्ख [लब्धलक्ष्य] पण्हा० ३।३, ५ ५८. सम०प्र०६६. भ० ७।११७; ४।१६८. नाया० लद्धसण्ण [लब्धसंज्ञ] नाया० १।१७।१२, १३ १।१।३३, ६७, १७५; १।२।४, ६, ३३, ४५, ६७; लद्धसद्द [लब्धशब्द] पण्हा० ४।४ ११।३; १।१३।२४; १।१७।३३. अंत० ३।६७.पण्हा० लद्धसुइय [लब्धश्रुतिक] नाया० १।१७।१२, १३ ३॥१५. विवा० १।२।५३; १।६।१६, २३ लद्धि [लब्धि] भ० ११३५४ ; ३।२२२,२२५,२२८,२३०, लयाजुद्ध [लतायुद्ध ]नाया० ११११८५ २३१, २३४, २३७, २३६; ६।३२; ८।१३६ से १४६, लल[लल]-ललंति, भ० ६।१३५ ३८८, ३८६, ४०७, ५००; १४।१११; २०८०,८४; ललिय [ललित] सम० प्र० २४१. भ० ६१६५ से १९८; २४१७६, ८१,८३,८६, ८६,६०,१०६, १०७, १८६, १११११२, १२।१२८. नाया० ११११७; १११।२४, १९४, १९७, २०३, २१०, २१५,२३१, २४४, २४८, ५६; १।६।३६; १।१६।१६, १११, १६३.उवा०२।२८. २५१, २६७, २७२, २७६, २८२, २८५, ३५६.नाया० पोहा० ४।५ । ११८।११६, १२६. पण्हा० १२२४; ६।३ ललियमित्त ललितमित्र] सम० प्र० २४२।१ लद्धिय [लब्धिक] भ० ८।१४७,१४६,१५१, १५३,१५५, ललिया [ललिता] अंत० ६।१७, २० १५७ से १६६, १६८, १७०, १७१, १७३, १७५ . लल्ल[लल्ल] पण्हा० २।१६ लद्धिवीरिय [लब्धिवीर्य] भ० ११३७६ से ३७८, ३८१ लव [लप] सू० २।६।१५ लद्ध लब्ध्वा ] आ० २।१०२, ११६; ३१५० लव लव] सू० १।२।४२; १।१२।४।२।६।६.ठा०२।३८६; लद्ध [लब्ध्वा ] सू० १।३।३६ ३।४२७, ५।२१३१५. सम० ७७१४. भ० ५।१५; लक्ष्ण लब्ध्वा ] सू० २।४।४. सम०प्र० ६५ ६।१३२।२; १४१८५; २५।२४६. नाया० १।५।३६; पहा०६।१७; ६।१०।१०।१४ से १८ १।८।१८२ लब्भ [लभ्] —लब्भइ, भ० ७८. --लब्भंति, सू० लव[लप्] - लवंति, सू० २।२।७६ १।२।१७. पण्हा० ३।१५.–लब्भते, सू० १।२।५२. लव [लापय् ]-लावएज्जा, सू० १।७।२४ -लभइ, अंत०६।५६.अणु० ३।२५. -लभंति, आ० लवइय | दे०] पल्लवित, भ० ११५० ६७. ठा० ५।१०७. अंत० ३।२६. नाया० १।९।१५. लवंग लवङ्गानाया० १११।१८. पहा०१०।१६ पण्हा० ३।१५.- लभंती,सू०१।२।३१.–लभति,आ० लवंगरुक्ख [लवङ्गरुक्ष] भ० ८।२१७।२; २२।१ ५।६३. ठा० ७॥४३॥१. भ० १८१५७.-लभामि,ठा० लवग्ग[लवान ] सम० ७७।४ ३।२५०.नाया०१।१६।२२१.-लभिज्जा,ठा०३।३८८. लवण [लवण] ठा० २।३२७, ३२८, ४४७; ३।१३४; -लभिस्सामि, आ० ० ११४६. ठा०३।२५१. भ० ४।३३२, ३३५; ७।१११,१०१३२, ३३. सम० १६७; ला ६२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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