Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 690
________________ विसा अंगसुत्ताणि शब्दसूची १६; १।६।२६, ४५ विसाण [ विषाण ] आ० १।१४० सू० २।२।४. नाया० १।५।३५. उवा० ७१५०. पण्हा० १।११ विसात [ विसात ] सम० २० | १४; ५० ६६ विसामाण [ विस्वदमान ] नाया० १।१६।१५२. उवा० १।५७ ४५।७ विसाह [ विशाख ] ठा० ५६६ विसाहा [विशाखा ]ठा० २।३२३, ५/६६, २३७, ६।७५; ७। १४६; ८ | ११६. भ० १८/१११, ३८ विसि [विशिष्ट ] सू० ११६ | ७ २ २ ११. ठा०२ । ३५८; ४।१२२. सम० ३२।२; प्र० ६०, ६७. भ० ३।२७४, ११।१३३. नाया० १।१।२४, २५, ८६, १५६, १६७ २२४१८. पहा० ४।७ विसिटूकूड [विशिष्टकूट ] ठा० ७ १५० १ विसितर [विशिष्टतर ] भ० १२ १२८ विसितरय [विशिष्टतरक ] पण्हा० ६।५ विसराय [विशिष्टतरक ] भ० १५६८ विसिदिट्टि [विशिष्ट दृष्टि ] पण्हा० ६ । ३ विसिस [वि + शिष् ] --- विसिस्सति भ० ५२९३ विसीद [वि+सद् ] - विसीदति, सू० १।११।३०. - विसीदेज्जा, सू० १/४/२६. विसीयइ, सू० ११५८. - विसीयंति, सू० ११३१४. – विसीयति, ठा० ४५८६ विसुज्झ [ विशुध् ] विसुज्झइ, आ० चू० १६ | ८. नाया ० ६७५ Jain Education International ११६४८।१ विसुज्झत [ विशुध्यमान ] आ० चू० १५।२८।१० विसुज्झमाण [ विशुध्यमान ] २५।४५७ विसाय [विषाद ] पहा० ३।२३ विसाय | वि + स्वादय ] -विसाए ति, विवा० १।७।२३ विसायणिज्ज [ विस्वादनोय ] नाया० १|१२|४, १६, २० विसारद [ विशारद ] सू० १।१४।१७. भ० ६ १७३ विसारय [ विशारद ] सू० १।३।५० ; १ | १३ | १३. भ० २ २४; | १३७. नाया० १।१।१६ ८८ १३८. पहा०३११४. विवा० १२|७ विसुणिय [ विशु नित ] गाय हुआ, पण्हा० ४ विसुत [ विश्रुत ] सम० २२।११ वसुद्ध [ विशुद्ध ] ० २२/६८, १४४|५३. ठा० ३।३६४, ५१८; ६।७२; ७१४८ ७. सम० प्र० ६६, १४४, १५०; २२०४, २२६/४, २३२३, २३३।३. भ० ६।१३४, १३५; ६ ३४, १७३; २५/३७४, ५५६।३. नाया० ११८।२७, २८; १।१६।१६३; १।१७।१४. पहा ०७२१; १, ३; १०२ विसाल [ विशाल ] ठा० २।३२५, ३७५. सम० १८ । १५. भ० २।११८ ५।२५५; ७ ३ ; ६।१२२; ११।६८,१३३; १३।६०. नाया० १९८७२. पण्हा० ४८; १०१२ विसुद्ध [ विशुद्ध तर ]भ०८।१८७ विसाला [विशाला ] ठा० ४।३४१. सम० ५ १२; ८, विसुद्ध तराय [ विशुद्धतरक ] भ०८।१८७ भ० ६।३३, ३४, १७१; १३।२१, ३८; १४११११. नाया० १११११७०, १६० ; १।८।१८१,१।१३।३५; १।१४१८३. उवा० १।६६; ८।३७ विज्झमाणय [ विशुद्ध्यमानक ] ठा० २।११२. भ० विसेस वसुद्धा [ विशुद्धता ] म० प्र० ६५ विसुद्ध [ विशुद्धश्य ] भ०६।१६८, १६९ विसुद्धले सतराग [ विशुद्धलेश्यतरक ] भ० १।६७, ६३ विसुद्ध रा [ विशुद्धवर्णतरक ] भ० १।६५, ९१ विसुद्धि [ विशद्धि ] सु०२।७।३१. भ०६।१२८. पहा०६।३ विसूइया [विसूचिका ] आ० चू० २।२१ विसूणिय [विशू नित ] सू० १२५ ३६. पहा ० १ २६ वितरण [ खेदन' ] पहा० ५३१, ६, १० विसेदि [विश्रेणि] भ० २५।६२ से ६४; ३४ १५, २६, २८ विसेस [विशेष ] सू० १|४|११ २/६/४६. ठा० १० ६५, ६५।१. सम० प्र० ε२, ६४६६. भ० २।११८, १२१; ३।३३, १०२, २५१; ६।१३४; ६/७ ; ११।५६, १३३, १३६, १३७, १४१; १३।६८ २४।२१०, २४४, ३३२; ४०१८. नाया० १११।१६, २८; ११३८; १।७।४४|५; १।१६।९२, ११३. पन्हा० ३।२४, विव । ० १।१।४१, ४२, ६६; १।२७, १५, १६, ६५; १।३।१५,१६, ६४; १।४।३१; १५१२८; १।६।३६; १. हे ४।१३२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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