Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 728
________________ सत्त अंगसुत्ताणि शब्दसूची सत्तविध ५७, ६५, ६८, २।१।१४, ४०,४१,४६, ५२,५६, १।२६७, २९८, ३०३ से ३०५, ३६४, ३६५; ५।१६६ ७८, ७६,३१३।२ से ७५, १०१:२।४।५,६, १७, १८, से१६८७१११, ८२२१,१०।६४; १२१६६, ११२, २१, २।६।२६; २७।११,१६, १८, १६, २५, २६. ११३,१५।१०१, २४१४६, ५२, ७५, ७७, ८८, ८६, ठा० ३।३७७; ५।१४४, १४५; १०१६२. भ० ११४४२, १०३, १०४, १७५, १७६, १७८,२४४, २५६,२८२; ४४३,२।१४, १५, ५३, ५४, ५।११६ से ११८,१३४; ३१।६।२. नाया० १११।२००१७।१,४४; १११ ६।८८, १०५, ११६, १८३, १८४; ७२७, २८, ६६, १।१२।१६; १।१६।१४५; २।११५; २७।१ से ३; ११४,११६, ११८,११६८२४१, ४२२; ६।१५१, २।८।१. उवा० ११५ से ७,६३२११, ५२; ३३१,४६% १७१,१११४०, १२॥५४, ५६, ५८; १५५, ६०,७७; ४।१, ४६; ११, ४६; ६३७; ७।१, ८५, ८६;८।१, २०११७; २११८; ३५।१२, ५८. नाया० १११।१५०, ३४, ५४; 8।२२, २८; १०।२२, २८. अंत० १११३. १५१,१८० से १८२, १८६, १९२, १६३; १।२।१६; विवा० ११११७०; ११३।१४; ११७।१,३६% १८१ १।६।५४।५; १।१६।८, १६, २५, २८,१६३, ३०४. २।७।१ अंत० ३८५. पण्हा० ११८३।२३, २४ सत्तमग[सप्तमक]ठा० ७।६५।१ सत्त[सक्त] आ०१।१७३ ; ६।७,१६. सू०१।११६,१।४।१४; सत्तमा[सप्तमी] भ० ६।२।१६; १२।११३ १।१०१८,१६. नाया० ११७।४४१६ सत्तमासिय [सप्तमासिक] सम० १२।१. भ० २।६० सत्ता सप्तन] आ० च० १३१४०. ठा० ३.१८६. सम० सत्तमासिया[सप्तमासिकी नाया० ११११ ७१. भ० १९. नाया० ११११६. उवा० २।२८. अंत० सत्तमी सप्तमीसम० २७।६ ; ३७१५ ३।२५. अणु० १।१५. पण्हा० ११४४. विवा० १११।३।। सत्तय [सप्तक ] सम० २११२. भ० ६।११४।१; ६६६, सतंग [सप्ताङ्ग]भ० ११।६४ ।। ६८, ६६. नाया० १।१२।१६. अंत० ८।२३ सत्तग[सप्तक] भ० ६६६, ६८, ६६ सत्तर[सप्तति]भ० १५५१०१ सत्तगुण[सप्तगुण] ठा० ७.१५५ सत्तरत्त [सप्तरात्र] उवा० ८।४१, ४३, ४६ सत्तचत्तालीस[सप्तचत्वारिंशत सम०४७।१ सत्तरस [सप्तदशन्] भ० २।११८.अंत० ८।३७.पण्हा० सत्तच्छय[सप्तच्छद] नाया० १।१६।१६२ १०॥५. विवा ११५२१६ सत्तट्ठाण [सप्तस्थान] ठा० ७.१५३ सत्तरसम[सप्तदशम] भ० २०१४३,५०.नाया०१।१७।१, सत्तट्टि [सप्तषष्टि] सम० प्र०६० ३७; १०८।१. विवा० १।३।१४ सत्ततीस [सप्तत्रिंशत् ] सम०३७।१. भ० १३॥६७.विवा० सत्तरसविह [सप्तदशविध] सम० १७।१, २६; प्र०६६ सत्तराईदिय [सप्तरात्रिंदिव] सम० १२।१ सत्तत्तरि[सप्तसप्तति] सम० ७७।१ सत्तरातिंदिया [सप्तरात्रिन्दिव] भ० २।६०. नाया० सत्तनउय [सप्तनवति]सम० प्र० १४६ १११।१६८ सत्तम सप्तम] आ० चू० १।१४७; ७१५५. सू०२।२।६. सत्तरि [सप्तति] ठा०७।१२८।१.सम०७०।२. भ०६।३४. ठा० २।४४८; ३३१३५, ६९६७१२, २२, ४११२, ४२।२, ४५॥१, ४६।१, ४७४२, ६१११, ७५, सत्तरिय[सप्तति] सम०७०११ १२३, १२४, १२८; ८।२४।२, ५, ११४; १०।६७।१, सत्तवण्णवडेंसय [सप्तपर्णावतंसक] भ० ३।२४५; १४३।१. सम० ८७,१५।३; २२१६; २३।६; २४१८% १०६६ २५३११, २६।४; २७।८, २८1८२६।११; ३०१० सत्तवण्णवण [सप्त ४१३३६।१,३४०।१. ३११७; ३२१८,३३३६,३४।६,३६।३;प्र० ४५, ६५, भ० ११५० । १४३, २१६, २१७, २४७।१, २५४।१, २५६।१. भ० सत्तविध [सप्तविध] ठा० ७।३, ३१ से ३७, ४६, ६५, ७१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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