Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
सण्णिवेसदाह
आगम शब्दकोश
सत्त
५८; ११॥६१,१३।१०४,१५।१५, १६, ४५, ४७,५१ १, २, ४ से ३२, ३४ से ४१, ४३ से ४६, ५१ से ५३, से५३, १८६; १६।६५. नाया० ११११११८; १८।५८, ५५, ५६, ५८,५६, ६१ से ६६,६८,७८,६०, ६२ ८५, ६७, १५३; १११४।४३ ; १।१६।६७, १०७,१६६, से १६, १४८ से १५२।२,१६६, २२७/२, २४१. भ. २२६; १।१७।१७. उवा० १.१५, १६, ५७, ६०, ७२, ८।१।१. पहा० १११२
७३, ७६. अंत० ३।८१.विवा० २११११५, ३१ सत स्वयम् ] भ० ६।१२१ से १२३ सण्णिवेसदाह[ सन्निवेशदाह] भ० ३।२५३
सतत स्वतन्त्र सू० २।१।२६ सण्णिवेसमारी | सन्निवेशमारी] भ० ३।२५८ सतग्घि [शतघ्नी] सम० प्र० १४४. पाहा० १११८ सण्णिवेसवाह [ सन्निवेशवाह] भ० ३।२६३ सतत [ सतत ] आ० २।६३. सू० १।१२।१६.पण्हा०३।२०; सण्णिसण्ण [ सन्निषन्न] भ० ७।२१३, २१८ ; ६।१६२ से. ५६; ८।५; १०।१०, ११
१६४,११११७५,१३।११७; १८।१३५.नाया०१।१।२४, सतवार शतद्वारठा०६।६२ ४६, ८०, १३१ ; १।३।७; ११५८८, ११८; ११८।११, सतद्दु [शतp] ठा० १०१२५ ३०, ६४, २१२; १।१३।२०, २५
स(त) दु[शतद्रु] ठा० ५।२३१ सण्णिसत[संज्ञिशत भ० ४०।२७
सतधणु [शतधनुष ] १०।१४४ सण्णिसेज्जा [ सन्निषद्या सू० १।४।१६
सतपोरग[शतपर्वक] भ० २१।१८ सण्णिहाण[सन्निधान] सू० १।४।३६
सतभिसया [शतभिषज्] ठा० ७।१४६. सम०१५।४ सण्णिहाणत्थ [ सन्निधानार्थ ] ठा०८।२४।२ सतय[शतक ] ६।६०, ६१. सम० प्र० २५१।२ ; २५२।१ सणिहि[सन्निधि] आ० चू० १।२१, २४. सू० १।६।२५; सतर[सत र] भ० ८।२४२
२।११६६; २।२।५०. भ० ३।२६८. पण्हा० १०॥६,६ सतरह [ सप्तदशन् ] सम० प्र० २१७११ सणिहिय [ सन्निहित] ठा० २।३७१. नाया ० १।८।४४. सतरिसभ[शतर्षभ ] सम० ३०।३ अंत० ६।२५
सतरो [शतावरी] भ० २२।३ सण्णिपुत्र [संज्ञिपूर्व] भ० ११।१७१
सता[सदा] ठा० २११७० से १७२ सण्ह [ श्लक्ष्ण] ठा० ४१३३८.मम०प्र०१४४,१४६, १५०. सति [स्मृति ] ठा० ४।६१. भ० २५६०१
भ० २।११८; १६।६८. नाया० १११।२५, ८६. विवा० सतिअंतरद्धा [स्मृत्यन्तर्धा ] उवा० ११३७ ११८१२
सतिअकरणया[स्मत्यकरणता] उवा० ११४० सण्हकरणी [श्लक्ष्णकरणी] भ० १६।३४
सतिय [शतिक] भ० ६।४०, ६२. नाया० १।१८० सण्हपट्ट [ श्लक्ष्णपट्ट] भ०११।१३८
सती [शची] ठा० ४१३४६ सहमच्छ [श्लक्ष्णमत्स्य ] विवा०१।८।११, १६
सतीण [सतीण] ठा० ५।२०६. भ० ६।१३०,२११५ सण्हसहिया [श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका] भ० ६।१३४ । सतेरा [शतेरा] ठा० ४।१२७; ६।५४, ५५. भ० १०७६. सत [शत] सू० १७।२४. सम० १।२२ से २५, ३८; ६।७; ।
नाया०२।३६ ११।२, ३, ६, १२३४,५; १४।६; १७।३,४, ८; १६।२; सत्त[सत्त्व ] आ० १११२२; ४।१,२०, २२, २३, २६,२७; २४।२; २७।४; ३११२, ३; ३२।३; ३७।२; ३८।२; ६।१०३, १०४, १०५; ८।२१ से २४; ६।१।१४; ३६।१; ४७।१; ४६।१; ५११२; ५३।२; ५७।४,५; १।४।१०. आ० चू० १११२ से १७, ८८; २।३ से ७, ५६।३; ६०।६; ६४।१; ६७।२७३।१,७४१२;७५१; १६,४६, ७१; ३।४६; १५ से १०, २२; ६।४ से ६, ८०७;८१११, २,३,८२॥१,३; ८३।४, ५, ८५४; २१८३ से ८,२५,६।३से ७,१०१४ से ६१३१७६%) ८६।२,८७।६; ८६।३;६०१५; ६११३६३२,६४११, १४१७६; १५१४४, ४७,४८. सू० ११११११११७११७; २६७।४; 8८।४; ६६२, ३,७,१००।१ से ८; प्र० १११११७,१११२।२१, २।१।२२, ३१,३८, ४७,५६
७१२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840