Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 707
________________ संखेज्जइभाग आगम शब्दकोश संगारपव्वज्जा ४०, ४१, ४५, ४६, ४८ से ५०, ७३ से ८२, ११६, संगकर[सङ्गकर] आ०५।८६ १४७ से १५०, १५३, १५४, १५६, १५८,१५६,१६३ संगत [सङ्गत] पण्हा० ४१७, ८ से १६६, १७४, १७६, २११, २३६, २४७ से २७२, संगतिय [ सांगतिक ] आ० चू० ६।१८ ४३२, ४४०, ४४१३११४,८ से १०, १४, १६:३२।२; संगम संगमनाया० १४१४६७, १५८ ३५॥४,१४,१६से२० ;३६।१,२,४०।१; ४१।४,२६,३०, संगय[सङ्गत] भ०६।१६५ से १६८; ११।११२;१२।१२८. ३३.नाया०११११५६,५६१८१६६, २०३; १।६।३४ नाया० १।१।१७, १३४ से १३७; १।२।८; ११३१८. संखेज्जइभाग [ संख्येयतमभाग] भ०२।१४६ से १५१; पण्हा० ७।१७. विवा० १।२।७ १५३।१; ५।२२२; ६।१२५;२०।१३,२४।२०६,२४०; संगलिया [दे०] भ० १५१५८, ५६, ७२ से ७४, १२६. २५१५, ३५०, ४४० से ४४२, ५४३, ५४४ अणु० ३।३२, ४१, ४३ संखेज्जक[संख्येयक]पण्हा० १।३२ से ३४ । संगह[संग्रह] ठा० ३।४०२; ४।३००, ३०१; ५।१६७, संखेज्जग संख्येयक भ०१३।२७, ६८ २२३ ; ७१३८ संखेज्जगुण [संख्येयगुण] भ० ३।११६, १२३, १२४, संगहकत्तु [संग्रहकर्तृ ] ठा० ७।४३।५ १२६; ६।५२; ७।४२, ५१, ५७; ८।४११, ४३८, संगहठाण[ संग्रहस्थान] ठा० ७।६ ४४७६।११८; १२।१६७,१९८; १४१८१; २०११०३, संगहण संग्रहण पण्हा० ८।६।। १०४, १०६ से १११; २५१५, ३६, १६२ से १६४, संगहणी [संग्रहणी] सम० प्र०६१ से ६६, १३१ १६६, १६७, २११, २३६, ३५०, ४५१, ५५० संगहपरिणा[संग्रहपरिज्ञा] ठा० ८।१५ संखेज्जजीविक[संख्येयजीविक] ठा० ३।१०४ संगहिय [संगहीत] भ० ११३१०.३११:२६॥३४.३६: संखेज्जजीविय [संख्येयजीविक] भ० ८।२१६, २१७ २७।२; २६।४।३०।४४ संखेज्जपएसिय[संख्येयप्रदेशिक ] भ०५।१६४;८।२५५, संगहीत [संगहीत] ठा० ८।१४ ३५१,१२१७८ से ८०; १४।८१,२०१३५, २५।२३६ संगाम[संग्राम आ०६।११३, ६।३।८,१३.आ० चू०१६।२. संखेज्जपदेसिय [संख्येयप्रदेशिक] भ० २५।१४, १५३, सू०११३१२,७, ४०,४५; ११७।२६.ठा०३।४६४,४६५. १५४, १५६, १६३, १७४, २११, २३६ प्र०२४५३१.भ०१॥३५४,३७३; ७।१७३, १७४,१७७से संखेज्जहा [संख्येयधा] भ० ८।२२२; १२७८ से ८० १८०, १८२, १८३, १८६ से१८६,१६२, १६४, १९६ संखेत्त[संक्षिप्त] ठा० ४।३३८ से १६८, २०३, २०४, २०६; १५।१२१; १८।१४८, संखेव [संक्षेप] ठा० १०।१०४।१ १५०,१५१.नाया० १।१६।२७२.पण्हा० १११३; ३३१, संखेव (रुइ) सिंक्षेपरुचि] ठा० १०।१०४ ५, २६, ४।११, १२ संखेवियदसा[सांक्षेपिकदशा] ठा० १०।११०, १२० संगाम [ सड. ग्रामय ]-संगामेइ. भ०१।३५४. संगामेंति संखोभिज्जमाण [संक्षोभ्यमान] नाया० १६१० भ० ११३७३ संखोभिय[संक्षोभित] आ० चू० ११३५ संगामित्तए [सङ्ग्रामयितुम् ] भ० १८।१४८ संखोहिज्जमाण[संक्षोभ्यमान] नाया० १।१७१७ संगामिय [सांग्रामिक] ठा० ५।५७ से ६१, ६४,६५.भ० संग [सङ्ग] आ० १।१७३; २।१४५; ३।६, ३२, ५॥३३, ७।१७५, १८४; ११।१५६ ११८, १३४; ६।३८, १०८. सू० १।३।१८, २६, २८; संगामेमाण [सङ्ग्रामयत्] भ० ७।१७८, १८७, १६७, २६, ३०; १७।२८; १।१४।१६; २।१।७२, २।६।१६, २०४; नाया० १।१६।२७२ २१. सम० ३२।११५ संगार [संगर] ठा०४१४३४.भ०१५।१३४, १३५.नाया० संगइय[साङ्गतिक] सू०१।१।३०; २।१।४४.ठा०४।४३४ १३७ संगंथ[संग्रन्थ] आ० २।२. सू० २।१।५१; २।२।३५ संगारपव्वज्जा [संगरप्रव्रज्या] ठा०३।१८३; ४१५७३, ६६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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