Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 666
________________ वावण्णग अंगसुत्ताणि शब्दसूची वास वावण्णग [व्यापन्नक] भ० १।११३ वावण्णसोया [व्यापन्नश्रोतसी] ठा० ५१०५ वावत्ति [व्यावृत्ति] ठा० ३०५०८ वावत्ति [व्यापत्ति] नाया० १।६।५, २०,२१, २४, ४७, ५०. अंत० ६।२६, ३६, पण्हा० ४।२ वावहारियनय [व्यावहारिकनय] भ० १८।१०७ से ११० वावार [वि+आ+पारय] –वावारिंसु, नाया० . १८६६ वावि [व्यापि] पण्हा० १११४; ४१८; ५॥३ वाविद्धसोया [व्याविद्धश्रोतसी] ठा० ५।१०५ वाविया वापिता] ठा०४।५७६ वावी [वापी] आ० चू० ३।४८; ११।५; १२।२. ठा० २।३६०.भ०५।१८६,२३५;८।३५६.नाया०१।१।१५८; १।२।११,१११।२०से २३; १।१३।१५.पण्हा०१०।१५ वावेत्ता [वापयित्वा] नाया० १७।१० वास [वर्ष] आ० ६।६६; ६।१।११; ६।२।४. आ० चू० ११४०; ३।१३; १५॥३, ५, २५, २६, ३४, ३६, ३८. सू० १।२।६२; २।२।१४, ५६, ५६, ६७, ७३; २।६।५२; २७११७,१८,१६,२५..ठा० २।२६८,२७४, २७५, २६४ से ३०६,३०६से३१५, ३१७, ३१८,३२०, ३२६ से ३३१, ३४७, ३४६, ३८६, ३६०, ४०५२ ३।१०५, १०७, १०६ से १११, ११३, ११७, ११६, १२४, १८७, ४२७,४५१, ४५२, ४११३६, ३०४ से ३०६, ३०८, ३१५, ५४०, ५।१०७, २१३१३, ४; ६।२५, २६, २७.८४,१२१, १२२; ७।५०,५४,५८, ५६, ६१, ६२,६४, ७४,६१,९।१६, २०, २२१७,६२, १०।२७, ७६ से ८०,१२५,१२८ से १३०,१४३,१४४, १५४. सम०११३५, ३६, ३८,४५; २।१२, १३,२२, ३॥१७, १८, २३, ४।१७; ५२१; ६।१६; ७१५, २२; ८।१७, ६।१६, १०।६, १४, १५, १७, १८, २४; ११११५; १२।५, १६, १३।१६; १४११७; १५।१५; १६।१५; १७।२०।१८।१४;१६।१४,२०११६,२१॥३, ४, १३; २२।१३, २३१२, १२, २४।१४; २५।१७; २६.१०; २७४१४; २८।१४; २६/१७; ३०२,६,७, १५; ३१११३; ३२।१३; ३३१३,१३,४०1८४२११, ५, ६, १०, ४७१२,५११४; ५३।४; ५४।१,५५।१; ६३।१, ६५२, ६६।१,७०११, २, ७२।३, ४,८% ७३।२; ७४११, ७५।३; ७८२, ८०१४; ८३१३, ८४१४.५, ८६।३;६०१४; ६२।२; ६५।४,५,६७।४; १००।४, ५; प्र० १०,४०, ६१,७३, ८५, ८६, ६२, ६७, १५३, १५५, १६४, २१६ से २१८,२२० से २२२, २३४ से २३६, २३८ से २४१, २४८ से २५११५,२५४, २५६, २५८. भ० १।१३, ५०, ११५, २६८।१, ३६६, ४३३; २१६६,७३, ३।३१, ४३,४५,५३,७५,७६।१, १००, १०५, १०७, ११२, १३०,५।१३ से १६, १८, २२२; ६।१३४, १३५,७।११७ से १२०, २०५,२०८, २१०, ८१६२, ६३, ६४,१०३, ३७७, ३७८, ३८०, ३८१,३८३,३९५, ४०१ से४०३, ४०६ ; ६।४१,६३, १३५, १५१,१५५, २३४, २३५,२४०,२४३,१०१४७, ४८, ५३, ५८; ११।३६, ४७, ६१,१०६, ११०,१७२, १७६, १८०, १८२,१८३,१८८,१९०, १६३,१२।२७, २८, १२८ १६६, १७३, १७६, १८१, १८२, १९२; १३।१२१, १२२; १४।१०२ से१०६,१५।२,२०,२१, ५६, १०१, ११४; १५२, १६४,१६५, १६७ से १७०, १८५, १८६, १८६; १६॥५१, ५२, ५५, ६६, ७४; १७१३; १८१४०, ५३, १५४ से १५७; १६।१७, २१, २०१६७, ७० से ७३; २११७; २२११, ६; २४१७,२७, २८, ३०, ३४, ३६, ४१, ४५, ४७,४८, ५०, ५४ से ५७, ६२ से ६४, ६६, ६८, ६६, ७२, ७४ से ७६, ७८, ८०,६२, ६५, ६७, ६६,१००,१०३, १०५, १०७, १०६, ११०, ११३, ११७, ११६, १२०, १२४, १२५, १३१, १३२ १३५, १३६, १३६, १४०, १४५, १७०, १७३ से १७६, १७८ से १८१, १८३, १८७, १६४ से १९७,२०० से २०२, २०६,२१०,२११, २१३, २१५, २१८, २२२, २४१, २६१ से २६३,२७३, २७४,२६०, २६६, ३००, ३०५,३०८, ३१० से ३१२, ३१६,३१७, ३१६, ३२०, ३२३, ३२४, ३२६, ३३०, ३३२, ३३३, ३३६, ३४२, ३४४ से ३४८,३५०,३५४, ३५६,३५८, ३५६; २५२४६, ४३२, ५३३, ५३५, ५३६, ५४०, ५४१; ३५।११; ४०११. नाया० १।१।१२, ३३, ५६, ८४, १६३, १७१, १८८, २११, २१२, ११२।१२, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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