Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 654
________________ वत्यंत अंगसुत्ताणि शब्दसूची वद से २४,२८, २६, ४३ से ४६, ५०, ६२ से ६५,६६,८५ वर | ठा०६।२५ से ८८, ६२; ६।१।२, ४, १६, २२. आ० चू० २।३८; वत्थविहि[वस्त्रविधि] नाया०१।१।८५ ३।६, ११, ६१; ५१ से १०, १२, १४ से २०, २२ से वत्थव्ब [वास्तव्य ] ठा०८।६६, १००. भ० ३।४; ३८, ४१, ४६ से ५०; १५।२८।५, ६. सू० १।३।३४; १५१ से ५४. नाया० १।८।३५; १।११७ २४।२५, ३०,३७,४०,११७।२१; १।६।२०७२।१।२१, वत्थव्वय वास्तव्यक] भ० ३।३८ से ४१, ४५,४६,४६ ३०, ३७,४६, ६६,६६; २।२।१६, १८, ३१,५०,५३, से ५१ ६६, ७२, ७३; २१७१४. ठा० ३।३४५, ३४७, ३८२, वत्थारहण [वस्त्रारोहण नाया० ११२।१४ ४१२४ से२६, ४५ से ४७, २८४, ६३६; ५।७३, ७४, वत्थि वस्ति ] भ० १३११, १८।१६६. पहा० ३।१२ १०३, १६०; ७।४३।२; ८।१०; ६।२२।६.भ०२।६४, वत्थिकम्म[वस्तिकर्मन्सू ०१।६।१२.नाया०१।१३।३०. ६७,१०७; ३१३३, १०२, १०६,१४८, २६८, ६।४; विवा०११११५५ १७।१; २०११, २१, २३ से २५, २७, २८, ३०, ३१; वत्थिप्पदेस [वस्तिप्रदेश] पण्हा०४८ ७।२०,१२५, १६३; ८।२५५; ६।१८६,१८६,१६२; वत्थिरोम [वस्तिरोमन् आ०चू०१३।३७,७४; १४१३७, १११६३, ६४, ६६, ६८,७०, ७२,१३८, १४०,१४२, ७४ १७८; १२।१५; १३॥१५१; १५॥१०, १५३, १७०, वत्थु [वस्तु] आ० २।५७. ठा०२।४४२; ८।५४ ; ६।२८; १८४७, ४८; २५१५६६. नाया०१।१।२५, ३०, ५७, १०६७, ६४।१, ६५१. सम०१३।६; १४।३१५६; ७५,८७,१२४,१२६; १।२।१२,१४,१७, ७१,१॥३॥६, १६।५; १८१६; २०१६; २५४९; प्र० ११३ से १२६, १५, १२५१५, ४७, ५२, ६१, ६४, ६५, ११७६,६, १२६१२, १३१. पहा० ७.१८ ३३; ११८७६, ८३,१४४, १६०, २०३; १११४।१६, वत्थु [वास्तु] सू० २।१।४६, ५०; २।२।३३, ३४. ठा० १६, ४१, ४६; १११६१५४,१०३, १५१,१५८, १६६, ४१८० से ८३. उवा० ११२८. पहा० ७.१६; १०१३ १८१, २६४, २६५; २।१।२१, २६.उवा० १।२०,२६, वत्थुनिवेस [वास्तुनिवेश] सम० ७२।७ ४५, ४६, ५५ से ५७,७०; २११०,१६, १७,४०,४३, वत्थुपाढग [वास्तुपाठक ] नाया० १११३३१५ ४५; ३।१०,१६, १७,४११०, १६, १७,५।१०,१६, वर नाया० १११३।१६ १७; ६।१०,१६, १७, २०, २६, २८; ७।१०, १५, वत सम०७२।७ १७, ३५, ४०, ४१; ८।११, १६; ६।१०, १६, १७; वत्थल [वस्तुल] भ०२११२० १०।१०,१६, १७. अंत०३।२२,६।३६. पण्हा०१।१२; नाया० ११११८५ १५, १७; १३, ६।२१, ७।१६; ८।४ से ६,६२,६, वत्थुसाय | वास्तुशाक ] उवा० ११२६ १०.विवा०१।१।३५,३७; १।२।१३,२४,२६; १।३।५२, वत्थेसणा [वस्त्रैषणा] आ० चू० ५५० ५३, ५८, ११७।१६, २१, २३, २५; १।६।२४,४०, वद [व] -वदइ, नाया० १६२८. अंत० ३।५०. ४३,४५,४७ -वदंति,आ० ४।२०. सू० १।१२।२. ठा० ८।१०.भ. वत्थंत [वस्त्रान्त | आ० चू०५।२७.नाया०१।८।७३.अंत० ६।१३४।१. अंत ३।३०. पण्हा० २।३. --वदति, आ० ६.४१ चू०२।३०. –वदसि,नाया०१।१६।२०६. उवा०६।२२. वत्थग [वस्त्रक] आ०६।११४ -वदह, सू० २।७।३४. भ०११४२६.नाया०१११४५. वत्थजंभक[वस्त्रजृम्भक] भ० १४।११६ उवा० ११२३. वदामि,नाया०१।१२।२६.-बदामो, वत्थधारि [वस्त्रधारिन् ] आ० ८।४६. आ०चू० ५।४१ ।। सू० २।७।१३. भ० ११४३०.-वदासी, भ०११२८६. वत्थधुव[ वस्त्रधाविन् ] सू०१।४।४८ —वदाह,नाया०११८।४६.-वदिस्संति,भ०१५।१४८. वत्थपडिमा [वस्त्रप्रतिमा] ठा० ४।४८८ -वदिस्सामि, आ० ६११. आ० च० ४।४.-वदि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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