Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 588
________________ मयेगदह अंगसुत्ताणि शब्दसूची मैरुववसर्भ ५.८,२१ ८६.१,२; प्र०६३, ६४, ६६. भ० २।२६, २८,४४, मयंगदह [मृतगङ्गाद्रह] नाया०१।४।२३।१ ४६, ५२,६५, ८।२७२; ६।१५०, १६७,१७०,२१०, मयक[मृतक] पण्हा० १०११५ २१४; १२।१०६, १३२, १३।१३०; १४१७७; १५।५, मयकिच्च [मृतकृत्य] नाया० १।६।४२; १।१४।३२; . ७७, १३६; १८१४६,४७.नाया० १।११४,१४५,१४६; १।१८।२७, ५७ . . ११३।२४; ११४।१८,१६५।२०,२६, ३०, ३७, ८६% मयग[मृतक] भ० १८।१०६. नाया० १।१२।३ समा१८६, २२६; १।१२।३६; १।१४।५३; मयगधि [मृतगन्धि] भ० ६।१७४ १।१५।२२।३।१।१७।३६।११से १५, ३७।३।२।१।२५. मयगकिच्च [मृतककृत्य] नाया० १।२।३४ उवा० ११३. अंत०३।३०।६।५२. पण्हा० २,१०, मयट्ठाण[मदस्थान] ठा० ८।२१; ६।६२. सम० ८।१ , २६, ३२ से ३४, ४० ; २।११, १२;३।१, १६, २३, मयणसाला [मदनशलाका] नाया० ११५।३; ११८।४६. २६, ४११, १३, १५, ५८, ६।१८; १०।११. विवा० ____ पण्हा० १।६; २।१२ १।२।५५; ११७।३३ मयणा[मदना] ठा० ४११७६ मरणंत[मरणान्त] सम० ३२।१३५. भ० १६।४२ मयणिज्ज [मदनीय] ठा० ६।१०९. नाया० १११।२४; मरणकाल [मरणकाल] ठ० ४।१३४. भ० ११।१०६, १।१२।४, १६, २० १२७ मयालि [मयालि] अंत० ४१२, ६ ; ५११.अणु० १।४ मरण-धम्म [मरणधर्म] पण्हा० ४।४ से ८ मयूर [मयूर] ठा० ७।४१।१. नाया० ११३३२७ से ३३; मरणभय [मरणभय] ठा० ७।२७;६।६२. सम०७।१ ११५॥३; १।८।४६. बिबा० १।४।१६; ११७.१६; मरणासंसप्पओग [मरणाशंसाप्रयोग] उवा० ११४४ १०८।११,१२ मरणासा [मरणाशा] सम०५२।१ मयूरग[मयूरक] पण्हा० १६ मरमाण[म्रियमाण] भ० २।२६, २८,४४, ४६;१८।६५ मयरत्तमय रत्व] विबा०१।१०१६ मरहट्ठ [महाराष्ट्र] पण्हा० ११२१ मयूरपोसग[मयूरपोषक] नाया ० १।३।२८।३० मरियव्व [मर्त्तव्यम् ] अंत० ६।६४ मयूरपोसय [मयूरपोषक] नामा० १।३।२७, २८, ३० मरु [मरु] नाया० १११६१६६ मयूरमिहुण[मयूरमिथुन] पण्हा० ४१४ मरुग | मरुक] पण्हा० ११२१ मबरी मयूरी] नाया० १॥३॥५, १९, २१ से २३. २५ से मरुतवसभ[मरुकवृषभ ] सम०प्र० २४१ २७. विवा० ११३२० मरुता [मरुता] अत० ७।२।१ मर [मृ] -मरइ, सू० २।११५१. भ० ११३७०. विवा० मरुदेव [मरुदेव ] ठा० ७।६२।१. सम० प्र० २१८।१; ११।६०.-मरए, नाया० १।१७।३६।११.-मरंति, २४८४ भ० १३६१३३. पण्हा० ७१३.-मरति, ठा० ५।७५. मरुदेवा [मरुदेवा] ठा० ४।१. सम० प्र० २२१।१. अंत० -मरामि, पण्हा० १।२६.-मरिज्जा, सम०१०।२. .. ७२।१ –मरिस्संति, भ० १३११३८ ७।६३३१. सम०प्र० २१६३१ मरण[मरण आ.१।१०,२१,४४,७५,१०३,१३०,१५४; मख्य [मरुक ] ठा० २।२०६.पण्हा० १०।१६ २०५६, ६१, ६६, ३।१५, ३६, ७,१२२:६८ मरुयग [ मरुबक] नाया० १८।३० पाया४, १७. आ० चू०१५।२८७.सू० १२१५५,७२, मरुयगपुड [ मरुबकपुट] नाया०१।१७।२२ ११३।१२,४५,१।१०।२४।१।१२।२०,२२; १११३।२३; मरुयवसभ | मरुकवृषभ] पण्हा०४।४ २।२।७८,७६. ठा० ११३६; २२५६, ४११,४१३, . ४१४, ३५१६ १७५, ७६,१०११३४. सम०१७। १. अन्न ककारस्थाने तकारो विद्यते । "५७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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