Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 619
________________ रक्खण आगम शब्दकोश रक्खण[ रक्षण] सू० १।४।१४. पण्हा० ६।१५; १०।१३ १॥५॥४३ ;१।१२।२१।१४।५६ रक्खणा [रक्षणा] पण्हा० ६।८ रज्जमाण [रज्यमान] आ० चू० १५१७२ से ७६. भ० रक्खस [राक्षस] सू० १।२।५; १।१२।१३, २।२।७२, ८२५५. नाया० १।१७।३६।१, ३, ५, ६ २।७।४. ठा० ४१५५६, ५६१, ५६३, ५६५; ८।११६, रज्जवइ राज्यपति ] भ० ११११३४, १४२,१४३.नाया० ११७।१. सम० ३०१३; ३४११. भ० २१६४;१४।११२. १।१।२०, २६ नाया० १।५४७; ११८७५, ७८, ७६, १३५. उवा० रज्जसिरि [राज्यश्री भ० ११।१६७. अंत० ३।७७. १।३१, ५५, ५६; २।४०, ४५. पण्हा० ३।७; ४३; पण्हा ० ४।६. विवा० १।६।३०, ३४ रज्जियव्व [रक्तव्य ] पाहा०१०।१४ से १८ रक्खसराय [राक्षसराज ] ठा० ४।१६५ रज्जु [रज्जु] ठा० ४।५०५; १०।१००।१. भ०८।३५५; रक्खसिद[ राक्षसेन्द्र] ठा०२।३६६,४।१६५. भ०१०।८५ १६६४. नाया० १।३।१०।११।१०,१।१४।७४, ७७. रक्खसी [राक्षसी] ठा० ४।५६१, ५६३, ५६५ पहा०६।१।१०।१८. विवा० १।६।१८, २३ रक्खा[रक्षा] पण्हा० ६।३ रज्जुग [रज्जुक] उवा० १।४७; ७।३३ रक्खिऊण [रक्षित्वा]पण्हा० ५।१०।५ रज्जय रज्जक भ०६।१४१ ।। रक्खिय [रक्षित] नाया० १७।३५,४४१८. पण्हा० ३।१, रज्जुया [रज्जुका ] आ० चू० ३।१७, १८ २६ रट्ट [राष्ट्र] सम ० ३०।१।१६.भ०११।५८,५६; १३।१०२, रक्खिया[रक्षिता, रक्षिका] सम० प्र० २३३।२.नाया० ११०।१५।१७४. नाया०१।१।१६,१५६; १।८।१५१; १७५, ६, ३१ से ३५, ४४।८ ११४॥२१, २२, ६०; १११६।१८७,१६८१११६।२६, रचित [रचित] पण्हा० ३३५ ४१. अंत० ५।११; ६।४०. विवा० ११११५७ रचितग[रचितक]पण्हा० १०१७ रटकूड [राष्ट्रकूट] विवा० १११।४७, ४८, ५० से ५३ रजय [रजत] सू० २।७।३ ५५, ५७ रज्ज/राज्य सू० १।३।४; २।१।१३, २३, ३२, ३६. ठा० रटुथेर [ राष्ट्रस्थविर]ठा० १०।१२६ ५।२०२६।६२.भ० ११३५४,१११५८,५६, ६२,१३४, रधम्म राष्ट्रधर्म ] ठा० १०११३५ १४२; १३३१०२, १०८, ११०, १२०, १५।१७४. रट्रिय | राष्ट्रिक] पण्हा०५४ नाया० १११।२०,२६, ११६; ११५८७, ९५,११८, रडिय[रटित नाया० १११११५६. पण्हा० १०।१४ १२४; ११८८,१०, १२, १४, ६२, ८८, ८६, ११२, रण[ रणस० श३।२. सम०प्र०६४ ११४,१३६, १५१, १५५, १८०, १८७, १६१,२२७; र पहा०३१५ २१२।४३, १११४।२१, २२, ३५, ५६, ५६, ६०, रण [अरण्य ] आ० ८।१४८।८।७. भ० ३।६५. नाया. १।१६।१८२, १८७, १६८, ३१०, ३१३, १।१९।८, शश३६,१११४१७८. पण्हा० ८।३; १०६ २६,४१.अंत०३।८१:०११;६।१०१. विवा०१।११५७; रतरत ठा० ७.१२०. पण्हा० ७६ १५।१४,११६।३०,३४,११६३६ रतण[ रत्न] नाया० १।१।२५ रज्ज[र]-रज्जइ, आ० ५४८.नाया० १।१५१४. रतणप्पभा[रत्नप्रभा] ठा० ४।१६५ -रज्जति, ठा० ५१७. --रज्जति, आ० २११६०. रतणसंचय [रत्नसंचय] ठा० ४।३०३ ---रज्जती, सू० १८७.-रज्जह,नाया०१।८।१८०. रतणुच्चय [ रत्नोच्चय ] ठा० ४।३०३ -रज्जेज्जा, आ० ८।८।२३. आ० चू० ११।१६. सू० रतणुच्चया [ रत्नोच्चया] ठा० ४१३४८ ११४।३२.-रयावेहि, सू० १।४।३६ रतय [रजत] ठा० १०।१६३ रज्जधुरा [राज्यधुरा] भ० १११५६. नाया० १।१।१६; रति [रति] आ० २।६, १६०. सू० १।६।१८; १।१०।१४; ६०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840