Book Title: Agam Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 561
________________ भवट्ठया आगम शब्दकोश भवसिद्धियत्तण १५।१६,१६।१६:१७।२१:१८।१८,१९।१५,२०।१७; भ०११११३, २५४; २१११७; ५२६२, १६०, २५८%; २१।१४;२२।१४;२३।१३,२४।१५, २५।१८,२६।११ ८।१४, १५, २४, ३१, ६५; ८.२४३, ३६१, ६।११४ २७।१५२८।१५:२६।१८, ३०।१६,३१११४३२।१४; से ११८; १२।१२८, १७२, १७७,१८८; १३।२४,२५; ३३।१४; प्र०८६.भ० २।८६,८७; ५८०,८१,१४७ १४।१३६; १६।६१; १८।१५७; २०७७; २४।२०४, से १४६; ८।३७८ से ४८४,४५८ से ४६६; ६।४६, २०५, २८३, २८४, ३०१, ३०२, २५।३३७,४८१; ६८,२४१,२४४२११।३०,३२से ३४;१४।८५१५।१८२, ३०११, २२.नाया० २।११५, १०,४१ १६॥६२ से १०५; २४।२७, ३०, ३३, ३८, ४१, ४४, भवणवासिय [भवनवासिक ] भ० १२।१२८ ४७,५०, ५३,६२,८१,८३, ८४,८६, १०, ११०,११४, भवणावास भवनावास सम०३४१५; ४०६४४४१३; १२१, १६८ १७०, १७३, १७८, १८४, १८६ से १८८, ४६।३, ६६२ १९४, २१०, २२८, २४१, २४४, २४७, २४८,२५५, भवत्थ [भवस्थ] ठा०२।८८से ६१.भ०३।१३१; ८।३२७, २६६, २७०, २७८, २८२, २६५, २६०, २६३,३०५, ३२८ ३१०, ३११, ३५४, ३५६, ३५८; २५१४१३, ५२४; भवधारणिज्ज [भवधारणीय ठा०३।१३८; ४।६३९; ४१।१४, १६, २१, २४, ३६, ८२ ५।२२७; ७१०६से १०६.सम०प्र०१६३.भ०११२२६, भवट्या भिवार्थ] भ० १४१८१ । ३५२, २४।२०६, २१०, २४०, २४१, ३०८ भवद्धिति [भवस्थिति] ठा० २।२५६, २६१ भवधारणिज्जग [भवधारणीयक] ठा० ६।१०८ भवण[भवन] सू०२७।२, ३.ठा० ८।१०.सम० प्र०६१।१, भवपच्चइय [भवप्रत्ययिक] ठा०२।६६, ६७. सम०प्र० १४४. भ० २०६४; ३।४, ५, ७, ६, १२, १४,५।१८५, १७२. भ० ३।१० १८६,२३३; ६।५०, २०८; ११११४०, १४२,१४४, भवपच्चय भवप्रत्यय | पहा०११२४ १५७, १५६; १३।२८; १६।१०४; १९।१।१, ६७,६८, भवपरंपरा[भवपरम्परा] पाहा० ११३६ ७४. नाया० १११।२६।१, ५२, ६०, ६६, ८६, १०२; भववक्कंति [भवावक्रान्ति ] नाया० १।८।२८ १।२१७; १।३।८,११५७,१४, २०, २२, ३१;१।८।८६, भवसिद्धिय [भवसिद्धिक] ठा० १।१६५, १६७, १६६, १४१, १४६, १९४ से १६६,२००,२०३,१११६:१६६, २०१, २०४।२।१६५,१६६, १७७.सम०११४६२।२३; १८५, १९६, २०६ से २०८, २२१, २३०, २३३,२३६ ३।२४; ४.१८; ५२२२, ६।१७, ७।२३; ८।१८; से २४१, २६२, २६३,२७८, २७६, २६१,१११६।१३, ६।२०; १०।२५; ११।१६;१२।२०; १३।१७,१४।१८; ३२; २।१।१०,३६, ५४; २।२।५; २।३।५; २।४।५; १२१६; १६।१६; १७१२१; १८१८; १६।१५; २।२५. उवा०१।११. अंत०३।६४. अणु०३१७. पण्हा० २०११७; २१।१४।२२।१४,२३।१३,२४।१५,२५।१८) १११४, १८; ४।४,८५११, ३, १०, १०।१५. विवा० २६।११, २७१५, २८।२,१५, २६।१८; ३०।१६; २।१।११ ३१११४; ३२११४; ३३।१४; प्र०१३४. भ०१०२६२, भवणगिह [भवनगृह] आ० चू० २।३६ से ४२, ३।४७; ३१७२, ७३, ६।२६, ३२, ४०, ६३, १८१८।१३५; ४।२१, २२. ठा० ५।२१, २२. भ० ३।२६८ १२।५० से ५२; १३३३से५; १६१४०, ६०,२५॥६२६; भवणवइ [भवनपति] ठा० ११२००. आ० चू० १५।६, ३०।३० से ३४, ४० से ४२; ३१।२३, २४, २६, २६, ११,२७,४०.ठा०११२००.भ०२।११६,६।१८५,१२।६८. ३१, ३३, ३७,३६,३३४७,४८, ५० से ५८,३४१६० नाया०१।८।३६, २२४ से ६६; ३२५७, ५८, ६०,६२, ६४, ६६; ३६३१०; भवणवडेंसग[भवनावतंसक] नाया०१।१।२७ ४०।२७, ३०, ३२, ३४; ४११५४, ५६,५७, ६१,७३, भवणवासि [भवनवासिन् ] ठा०२।२५१, ४४६;३॥१५१; ७५, ८१. नाया० १।१६।१६३ ४।१२४; ७।१०६; १०८१,८२,१०३.सम०प्र०१४८. भवसिद्धियत्तण [भवसिद्धिकत्व] भ० १११४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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