Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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नाया घष्पकहाओ १/-/१/१३
६
सुमिणे दिले कल्लाणे णं तुमे देवाणुप्पिए सुमिणे दिवे सिवे धण्णे मंगल्ले सस्सिरीए णं तुमे देवाणुम्पिए सुमिणे दिडे आरोग्ग-तुट्ठि दीहाउय कल्लाण-मंगल्लकारए णं तुमे देवि सुमिणे दिने अन्थलाभो ते देवापि पुत्तलाभो ते देवाणुप्पिए रजलाभो ते देवाणुप्पिए भीग सोक्खलाभो ते देवाणुम्पिए एवं खलु तुमं देवाप्पिए नवहं मासाणं बहुपडिपुत्राणं अद्धट्टमाणं राईदियाणं वीइक्कंताणं अहं कुलकेउं कुलदीवं कुलपब्वयं कुलबडिंसवं कुलतिलकं कुलकित्तिकरं कुल-वित्तिकरं कुलनंदिकरं कुलजसकरं कुलाधारं कुलपायवं कुलविवर्द्धणकरं सुकुमालपाणिपायं जाव सुरूवं दारयं पयाहिसि सेवि य णं दारए उम्मुक्कबालभावे विष्णय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणप्पत्ते सूरे वीरे विक्कतेवित्थिष्ण विपुल - वलवाहणे रजवई राया भविस्सइ तं उराले णं तुमे देवागुथिए सुभिणे दिले [कल्लाणे णं तु देवाणुप्पिए सुमिणे दिट्ठे जाव सिवे णं तुमे देवाणुप्पिए सुपिणेदि। आरोग्ग- तुहि दीहाउय-कल्लाण - मंगल्लकारए णं तुभे देवि सुमिणे दिने ति कट्टु भुज्जो - भुजो अनुबूहेई 190 / - 10
(१४) तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा एवं वृत्ता समाणी हट्ट - चित्तमाणंदिया जाव हरिसवस- विसप्पमाणहिय्या करयल-परिग्गाहियं [ सिरसावत्तं मत्थए | अंजलि कट्ट एवं वयासी- एवमेवं देवाणुप्पिया तहमेयं देवाणुप्पिया अवितहमेयं देवाणुपिया असंदिद्धमेयं देवाणुपिया इच्छ्रियमेवं देवाणुप्पिया पडिच्छिमेव देवाणुप्पिया इच्छियपडिच्छियमेयं देवाणुपिया सच्चेपणं एसमट्टे जं तु वह तिकडु तं सुमिणं सम्मं पडिच्छइ पडिछिता सेणिएणं रण्णा अणुष्णाया रामाणी नाणामणिकणगरयण भत्तिचित्ताओ भद्दासणाओ अभुट्टेइ अवधुता जेणेव सए सयणिजे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सरांसि सर्याणांसि निसीयइ निसीइत्ता एवं क्यासी-मा मे से उत्तमे पहाणे मंगल्ले सुमिणे अण्णेहिं पावसुमिणेहिं पडिहम्मिहित्ति कट्टु देवय-गुरुजणसंवद्धाहिं पसत्थाहिं धम्मियाहिं कहाहिं सुमिणजागरियं पडिजागरमाणी-पडिजागरमाणी विहारइ 1931-11
(१५) लए णं से सेणिए रावा पधूसकालसमयंसि कोडुविचपुरिसे सदावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी खप्पामेव भी देवाणुप्पिया बाहिरियं उबट्टाणसालं अज्ज सविसेसं परमरम्मं गंधोदग सित्तसुइय - सम्पजिओबलितं पंचवण्ण-सरसमुरभि-मुक्क पुण्फपुंजोवयारकलियं कालागढ़- पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क धूब-ङत सुरभि मधमधेंत गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवर गंध गंधियं गंधवट्टभूयं करेह कारवेह य एवमाणत्तियं पचप्पिणह तए णं ते कोडुंवियपुरिसा सेणिएवं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्ठतुट्ठ-जाब पच्चप्पिणंति तए णं से सेणिए राया कललं पाउप्पभायाए स्वणीए फुलुप्पलाकमल-कोमलुम्मिलियम्मि अहपंडुरे पभाए रत्तासोगप्पगास- किंसुय-सुयमुह-गुंजद्ध बंधुजीवगपारावयचलणायण-परहुयसुरत्तलोयण - जासुमणकुसुम - जलियजलण-तवमिज्जकलस-हिंगुलयनि गर-वाइरेगरहंत सस्सिरीए दिवायरे अहकमेण उदिए तस्स दिणकर-करपरंपरोयारपाराम अंधयारे बालातव-कुंकुमेणं खचितेव्व जीवलोए लोयण-विसयाणुयासविगसंत-विसददंसियम्मि लोए कमलागर-संडबीएह उद्वियम्पि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते सयणिज्जाओ उट्ठेइ उत्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अट्टणसालं अनुपविसइ अनेग-वायामजोग्ग-वगण-वामद्दण-मल्लजुद्धकरणेहिं संते परिस्संते सयपागसहस्रसपागेहिं सुगंधवर- तेल्लमादिएहिं पीणणिजेहिं दीवणिजेहिं दप्पणिज्जेहिं मर्याणि विहणिजेहिं सबिंदियगायपल्हाबजेहिं अमंगेहि अभंगिए समाणे तेल्लचम्मंसि पडिपुत्र- पाणिपाच- सुकुमालकोमलत लेहिं पुरिसंहिं छेएहिं दक्खेहिं पहिं कुलसेहिं मेहावीहिं निउणेहिं निउणसिम्पोवगएहिं जियपरिस्तमेहिं
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