Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुरक्खंघो-१, अन्ययणं-१ माणं दंसा माणं पसगा माणं वाला माणं चोरा माणं वाइय- पित्तिय-सिभिव-सन्त्रिवाइय विविहा ऐगायंका फुसंतुति कह सेणिएण रण्णा सद्धिं भोगभोगाइं पञ्चणुभवमाणी विहरइ 1८1.8
(१२) तए णं सा धारिणी देवी अण्णदा कदाइ तंसि तारिसगंसि-छक्कग-लट्ठमट्टसंटिच-खंयुग्गय-पवरवर-सालभंजिय-उजलमणिकणगरयणथूभिय-विडंकजालद्ध-चंदनिहंत कणयालिचंदसालियाविभत्तिकलए सरसच्छधाऊवल-वण्णरइए वाहिरओ दूमिय-घट्ट-मट्टे अभितरओ पसत्त सुविलिहिय-चित्तकम्मे नाणाविह-पंचवण्ण-मणिरयण-कोट्टिमतले पउम- लयाफलवल्लि-वरपुप्फजाइउल्लोय - वित्तिय -तले बंदण-वरकणगकलससुणिम्मिय-पडिपूजिय- सरसपउम-सोहंतदारभाए पयरग-लंबंत-मणिमुत्तदाम-सुविरइयदारसोहे सुगंध-वरकुसुम-मउय- पाहलसणवणोयचार-मणहिययनिव्वुइयरे कप्पूर लवंग-मलय-चंदण-कालगरु- पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क-धूव-इन्झंक्रि-सुरभि-मधमधेत-गंधुद्भुयाभीरामे सुगंधवर गंध गंधिए गंधवट्टिभभूए मणिकिरण पणासियंधयारे किंवहुणा जुइगुणेहिं सुरवरविमाण-विडंबियवरधरए तंसि तारिसंगसि सवणिजंसि-सालिंगणवट्टिए उभओ विञ्चोयणे दुही उण्णए मझे णय गंभीरे गंगापुलिणयालय - उद्दालसालिसए ओयविय - खोम - दुगुल्लपट्ट- पडिच्छयणे अत्थरच-मलय-नवतय-कुसत्तलिंव-सोहकेसरपघुत्यिए सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुवसंबुए सुरम्मे आइणग - रूव - दूर - नवीयतुलफासे पुट्यरत्तावरत्तकालसमयंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी-ओहीरमाणी एग महं सत्तुस्सेहं स्ययकूइ सत्रिहं नहयलंसि सोमं सोमागारं लीलायतं जंभायमाणं मुहमतिगयं गवं पासित्ता गं पडिबुद्धा तए णं सा धारिणी देवी अयमेवारूवं उरालं कल्लाणं सियं धणं मगंलं सस्सिरीयं महासुणमिणं पासिता गण पडिबुद्धा समाणो हटट्तुह चित्तमाणदिव पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस-विसयमाणहियया धाराहय कलंवपुष्फगं पिव समूससिय-रोमकूवा तं सुमिणं ओगिण्हइ
ओगिण्हेित्ता सयणिज्जाओ उद्वेइ उद्वेत्ता पायपीढाओ पचोरूहइ पच्चोरूहित्ता अतुरियमचवलमसंभताए अविलंबिपाए रायहंससारसीए गईए जेणामेव से सेणिए राया तेणामेव उवागच्छद उवागच्छित्ता सेणिवं रायं ताहि इटाहिं कंताहिं पियाहिं मणुत्राहि मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहि सिवाहिं धण्णाहिं मंगल्लाहिं सरस्सिरीयाहि हिययगमणिजाहिं हिययपल्हायणिजाहिं मिय- महारिभिव-गंभीर-सस्सिरीयाहिं गिराहि संलवमाणी-संलवमाणी पडिबोहेइ पडिबोहेत्ता सेणिएणं रण्णा अब्धणुण्णाया समाणी नाणा-मणिकणगरयणपत्तिचित्तंसि पद्दासणंसि निसीयइ निसिइत्ता आसत्या वीसत्था सुहासणवरगया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं पत्थए अंजलिं कष्ट सेणियं रायं एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया अन्न तंसि तारिसर्गसि सयणिनसि सालिगणवट्टिए जाव निवगवयणमइवयंतं एवं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा-तं एयस्स ण देवाणुप्पिया उरालस्स कलाणस्स जाव सस्सिरीयस्स सुमिणस्स के मण्णे कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ।९।.9
{१३) तए णं से सेणिए राचा धारिणीए देवीए अंतिए एवमटुं सोचा निसम्म हट्टत-जाव हियए धाराहयनीवसुरभिकुसुम-चुंचुमालइयतणू ऊसवियरोमकूवे तं सुमिणं ओगिण्हइ ओगिण्हित्ता इहं पविसइ पविसित्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुब्बएणं बुद्धिविन्नाणेणं तस्स सुमिणस्स अस्योगह करेइ करेत्ता धारिणिं देवि ताहि जाव हिययपल्हायणिज्जाहिं मिय-महुर-रिभियगंभीर-ससिसरीयाहिं वगृहिं अनुवूहमाणे-अनुयूहमाणे एवं वयासी उराले णं तुमे देवाणुप्पियर
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