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समवायाङ्गसूत्र : प्रथम संस्करण के
विशिष्ट अर्थसहयोगी तिंवरी मरुधरा का छोटा-सा ग्राम होने पर भी जैनजगत् में अपना एक महत्त्व रखता है। यही वह ग्राम है जहाँ की पुण्यभूमि में अ.भा. श्रमणसंघ के वर्तमान युवाचार्य, जैन संघ की विशिष्ट विभूति विद्वद्रत्न मुनि श्री मिश्रीमलजी महाराज का जन्म हुआ और यही वह ग्राम है जिसकी ख्याति में श्रीश्रीमालपरिवार चार चांद लगा रहा है।
श्रीश्रीमालजी का मूल प्रतिष्ठान 'श्री रावतमल हनुतमल' है। इस विशाल परिवार ने दुर्ग | (मध्यप्रदेश) को अपनी कर्मभूमि बनाया है।
स्व. श्री रावतमलजी सा. के तीन सुपुत्र थे- श्री हनुतमलजी, श्री दीपचंदजी और श्री प्रेमराजजी। आज इस त्रिपुटी में से श्रीमान् सेठ प्रेमराजजी समाज के सद्भाग्य से हमारे बीच विद्यमान हैं। स्व. हनुतमलजी सा. के सुपुत्र श्री भंवरलालजी सा. हैं और उनके भी तीन सुपुत्र-प्रवीणकुमारजी, प्रदीपकुमारजी और प्रफुल्लकुमारजी हैं।
स्व. श्री दीपचंदजी सा. के सुपुत्र श्री नेमिचंदजी के दो पुत्र सुरेशकुमारजी और रमेशकुमारजी
श्रीमान् प्रेमराजजी सा. के तीन सुपुत्र श्री मोहनलालजी, श्री शायरमलजी और श्री ताराचंदजी हैं। इनमें से श्री मोहनलालजी के सुपुत्र मदनलालजी, राजेन्द्रकुमारजी, अनिलकुमारजी और सुनीलकुमारजी हैं। श्री ताराचंदजी के भी पन्नालालजी, श्रीपालजी, हरीशकुमारजी और आनन्दकुमारजी, ये चार सुपुत्र हैं। इस प्रकार सेठ प्रेमराजजी साहब का भरा-पूरा विशाल परिवार है।
श्रीश्रीमाल-परिवार केवल संख्या की दृष्टि से नहीं, यश-कीर्ति एवं प्रतिष्ठा की दृष्टि से भी विराट है। दुर्ग नगर की धार्मिक, शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रवृत्तियों में परिवार का प्रत्येक सदस्य
अपने अपने क्षेत्र में पूर्ण प्रभाव रखने वाला है। नगर में इसकी बड़ी प्रतिष्ठा है। सार्वजनिक सेवा का | कोई भी क्षेत्र इस परिवार के सहयोग से अछूता नहीं है।
वयोवृद्ध धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्रीमान् प्रेमराजजी सा. सदैव धार्मिक कार्यों की अभिवृद्धि हेतु तत्पर रहते हैं। आप अनेक ट्रस्टों के स्वामी हैं और विभिन्न संस्थाओं के संरक्षक हैं।
श्रीमान् भंवरलालजी सा. श्री व. स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ के अध्यक्ष एवं नगर की अनेक संस्थाओं के ट्रस्टी तथा सक्रिय प्रमुख कार्यकर्ता हैं। आप श्री आगम-प्रकाशनसमिति के उपाध्यक्ष पद पर आसीन रह चुके हैं। 'राम-प्रसन्न-ज्ञानप्रसार केन्द्र' के मुख्य ट्रस्टी हैं।
- श्रीश्रीमाल परिवार की उदारता की ओर विशेष ध्यान आकृष्ट करने वाली बात यह है कि इस परिवार से संबंधित नौ व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं तो नौ ही सार्वजनिक संस्थाएँ भी चल रही हैं। प्रतिष्ठान