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२. तनाव और ध्यान (१)
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१. • दर्शन का नया आयाम-अनुभव और प्रयोग। २. . दो प्रकार के पदार्थहेतुगम्य
अहेतुगम्य
अनुभवगम्य * स्व-संवेदनगम्य * प्रयोगगम्य * वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं
* आध्यात्मिक लोगों ने प्रयोग किए थे। ३. • वनस्पति जीव अहेतुगम्य। उसे अहेतुगम्य करने के लिए वैज्ञानिक
प्रयोग। ४. • वनस्पति में श्रुतज्ञान। उसकी सिद्धि में व्याख्याकारों को कठिनाई।
वैज्ञानिक प्रयोग से उस कठिनाई का समाधान उपलब्ध हो गया। ५. • वनस्पति में संवेदन है, स्मृति है, पहचान है। ६. • ध्यान द्वारा तनाव समाप्त होता है। तनाव का आदि-बिन्दु भाव
है, उस पर जागने से तनाव समाप्त होता है।
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हम सत्य की खोज के लिए ध्यान कर रहे हैं। सत्य की खोज दो साधनों से हो सकती है। एक साधन है तर्क और दूसरा साधन है अनुभव या साक्षात्कार। पदार्थ दो प्रकार के होते हैं-हेतुगम्य और
अहेतुगम्य। दूसरे शब्दों में-तर्कगम्य और तर्कातीत। पदार्थ के दो रूप हैं-स्थूल और सूक्ष्म । पदार्थ के मूल पर्याय हमारी इंद्रियों, मन और बुद्धि के विषय बनते हैं। तर्क के द्वारा उनकी व्याख्या की जा सकती है,
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