Book Title: Abhamandal
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 189
________________ होता है । जितना तनाव उतना काम । तनाव होना, काम की उत्तेजना होना - यह कृष्ण - लेश्या का परिणाम है । कृष्ण-लेश्या वाला अजितेन्द्रिय होता है । यह कृष्ण-लेश्या का भाव है। इसका आभामंडल काला होता है । कृष्ण-लेश्या का परिणाम जितना प्रबल होगा तनाव उतना ही ज्यादा होगा । तनाव के कारण व्यक्ति बहुत सारी बुरी आदतों का शिकार होता है । व्यसनों का शिकार होता है। तनाव को निकालने का एक विचित्र प्रयोग पढ़ा । एक महिला तनावग्रस्त थी । आश्रम में गई । प्रयोग किया । छेड़-छोड़ की गई । वह हल्की हो गई । यह प्रयोग पढ़ा। मुझे बड़ी हंसी आई। हल्की हुई होगी वह स्त्री । एक तनाव था । एक विद्युत् बाहर निकालना चाहती थी, वह छेड़-छाड़ से निकल गई । तनाव समाप्त हो गया। एक बार ऐसा महसूस हुआ, किन्तु वह स्त्री स्वयं दूसरे तनावों से कितनी भर जाएगी । तनाव मिटाने का यह कोई रास्ता नहीं है। उपाय नहीं है । यह बहुत ही तात्कालिक और क्षणिक उपाय है। एक बार हल्कापन लगता है, पर यह कोई मार्ग नहीं है तनाव मिटाने का । आप यात्रा पर हैं। पांच किलो पानी है साथ में । थक गए । पानी जमीन पर उंड़ेल दिया। अनुभव होगा कि भार हल्का हो गया है । आगे बढ़े, प्यास लगी । अब क्या होगा ? अब पता लगेगा हल्का क्या होता है, भारी क्या होता है? हम परिणामदर्शी बनें। परिणाम को न भूलें । हम यह याद रखें कि यात्रा है। प्यास लग सकती है । प्यास को भुलाकर हल्का होने के लिए साथ वाले पानी को उंडेल देते हैं, तो यह अच्छा नहीं है । I जो आदमी शराब पीता है, वह भी तनाव को मिटाने के लिए ही तो शराब पीता है । वह क्या बुरा करता है? जब वह तनाव से भर जाता है और अपने आपको भुलाना चाहता है तब वह शराब की शरण में जाता है । अपने आपको भुलाए बिना बेचैनी होती है, अशान्ति होती है। आदमी ने मदिरा पीनी शुरू की अपने आपको भुलाने के लिए। आदमी ने तम्बाकू पीनी शुरू की अपने आपको भुलाने के लिए। आदमी ने गांजा, चरस पीना शुरू किया अपने आपको भुलाने के लिए । आदमी मूर्ख नहीं था कि उसने बिना प्रयोजन इन वस्तुओं का सेवन प्रारंभ किया आभामण्डल और शक्ति - जागरण ( 9 ) १७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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