Book Title: Abhamandal
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 211
________________ तीन लेश्याएं ठण्डी और रूखी होती हैं। काला रंग, नीला रंग और कापोती रंग- ये तीनों रंग और तीनों रंगों की लेश्याएं ठण्डी होती हैं और रूखी होती हैं। जब व्यक्ति के मन में इन लेश्याओं के स्पंदन जागते हैं तब उसमें हिंसा, झूठ, चोरी, ईर्ष्या, शोक, घृणा और भय के भाव जागते हैं। वे रंग इन भावों को उत्पन्न करते हैं। काला रंग भय का निर्माण करता है । जब-जब काले रंग के स्पंदन जागते हैं तब-तब व्यक्ति के मन में अनायास ही भय की अनुभूति होने लगती है, भय के भाव का निर्माण हो जाता है । तेजोलेश्या, पद्म- लेश्या और शुक्ल लेश्या - ये तीन लेश्याएं गर्म और चिकनी हैं। जब इनके स्पंदन जागते हैं तब व्यक्ति के भाव निर्मल बनते हैं। अभय, मैत्री, शान्ति, जितेन्द्रियता, क्षमा आदि पवित्र भावों का निर्माण होता है । जब भाव पवित्र होते हैं, निर्मल होते हैं तब विचार भी निर्मल होते हैं। विचारों का सम्बन्ध कषाय से नहीं है। विचारों का सम्बन्ध है मस्तिष्क से और ज्ञान से । विचार, स्मृति, चिन्तन, विश्लेषण, चयन, निर्धारण - ये ज्ञान की जितनी शाखाएं हैं, इन सबका सम्बन्ध मस्तिष्क से है। जितने भाव हैं उन सबका सम्बन्ध हमारी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से है । शरीर में दो तन्त्र हैं उनकी अभिव्यक्ति के । एक है ग्रंथि-तंत्र और दूसरा है नाड़ी - तन्त्र । एक है मस्तिष्क और एक है पृष्ठरज्जु । हमारे भावों को व्यक्त करता है ग्रन्थि - तन्त्र और विचारों का निर्माण करता है नाड़ी - तन्त्र । पहला है भाव, दूसरा है विचार | विचार से भाव नहीं बनता, किन्तु भाव से विचार बनता है । जिस लेश्या का भाव होता है, वैसा ही विचार बन जाता है । भाव अंतरंग-तन्त्र है और विचार कर्म-तन्त्र है । यह करने वाला तन्त्र है भाव। इसलिए हमें विचारों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं है। विचारों पर वे लोग ध्यान दें जो बाहर ही बाहर घूमते हैं । जो भीतर की यात्रा कर रहा है, भीतर में बैठा है उसे 1 विचार पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है । वे भाव पर ध्यान दें, भाव को निर्मल करें । प्रश्न होगा कि भाव को कैसे निर्मल करें? उसकी प्रक्रिया क्या है? 1 भावों को निर्मल बनाने का सबसे सरल उपाय है रंगों का ध्यान लेश्या : एक विधि है चिकित्सा की Jain Education International For Private & Personal Use Only २०१ www.jainelibrary.org

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