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है । यह ज्ञानवाही नाड़ियों को क्रियाशील बनाता है। पांचों इन्द्रियों की क्रियाशीलता इसी रंग पर निर्भर करती है । यह सेरेब्रो - स्पाइनल द्रव्य पदार्थ को प्रेरित करता है। लाल किरणें ताप पैदा करती हैं और शरीर में शक्ति का संचार करती हैं। ये किरणें लीवर और मांशपेशियों के लिए लाभप्रद होती हैं। लाल रंग मस्तिष्क के दायें भाग को सक्रिय रखता है | लाल किरणें शरीर के क्षार द्रव्यों को तोड़कर आयोनाइजेशन करती हैं । इसके बिना शरीर बाहर से कुछ भी नहीं ले सकता । ये आयोन्स विद्युत् चुम्बकीय शक्ति के वाहक होते हैं।
मनोविज्ञान की दृष्टि से लाल वर्ण स्वास्थ्यप्रद माना जाता है । यह प्रतिरोधात्मक होता है ।
यदि लाल रंग बार-बार काम में लिया जाए तो वह ज्वर तथा शैथिल्य पैदा करता है । इसके साथ नीले रंग का योग होना चाहिए । पीला रंग (Yellow)
यह क्रियावाही नाड़ियों को सक्रिय और मांशपेशियों को शक्तिशाली बनाता है। यह स्वतंत्र रंग नहीं है। यह लाल रंग और हरे रंग का मिश्रण है। इसमें लाल और हरे रंग के आधे-आधे गुण हैं । यह मृत सेलों को सजीव भी करता है और उनको सक्रिय भी बनाता है । इसमें पोजिटिव चुम्बकीय विद्युत् होती है। यह विद्युत् नाड़ी मंडल को शक्तिशाली और मस्तिष्क को सक्रिय करती है
पीला रंग बुद्धि और दर्शन का रंग है, तर्क का नहीं। इससे मानसिक कमजोरी, उदासीनता आदि दूर होते हैं । यह प्रसन्नता और आनन्द का सूचक रंग है
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नारंजी रंग (Orange)
यह लाल और पीले रंग का मिश्रण है । यह इन दोनों रंगों से भी अधिक ताप वाला है । यह ताप, अग्नि, संकल्प और भौतिक शक्तियों का वाचक वर्ण है। यह श्वास को प्रभावित करता है, और थाइराइड ग्लॉण्ड को सक्रिय बनाता है । इस वर्ण के प्रकम्पन फुप्फुस को विस्तृत
२४० आभामंडल
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