Book Title: Abhamandal
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 255
________________ * * रंग-चिकित्सा एक पूर्ण प्रणाली है। * बच्चा जब जन्म लेता है, तब उससे जामुनी रंग बाहर निकलता है। वह तीव्रतमगति से चलता है। उसका 'वेव लेंग्थ' न्यूनतम होता है। ज्यों-ज्यों वह बालक बड़ा होता है, प्रकम्पन की निरन्तरता। टूट जाती है। वे लंबे 'वेव लेंग्थ' वाले हो जाते हैं। जब वह लाल रंग के अंतिम छोर तक पहुंच जाता है, ४वें स्तर पर पहुंच जाता है, तब उसकी मृत्यु घटित हो जाती है। * नाक की नोक पर यदि हरा रंग न दीखे तो समझ लेना चाहिए कि प्राणी मर गया। * मनुष्य के ही नहीं, सभी प्राणियों के अवयवों के रंग होते हैं। * मनुष्य रंग के ४६वें प्रकम्पन पर जीवित रहता है। * नीले रंग के ४६वें प्रकम्पन पर प्रयोग करने से रोग मुक्ति होती है। * ४वें प्रकम्पन से आगे के प्रकम्पनों पर नीले रंग का प्रयोग करने पर मृत्यु होती है। * आंख के रंग से आंख के रोगों को जाना जा सकता है। आंख के ७२ प्रकार के रोग हैं। * नाखून के रंग से लीवर की स्थिति को जाना जा सकता है। शारीरिक बीमारी पकड़ी जा सकती है। * * 000 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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