Book Title: Abhamandal
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 214
________________ कषाय-विलय और मूर्छा-विलय के जो स्पंदन होते हैं, उन्हें शक्ति मिलती है और वे सक्रिय हो जाते हैं। लाल रंग या नारंगी रंग टॉनिक का काम करता है। यह महत्त्वपूर्ण रसायन है। इससे पूरी सक्रियता पैदा होती है और अणु-अणु में गर्मी आ जाती है।। रंगों का ध्यान महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस ध्यान से शरीर और मन की दुर्बलता मिटती है। स्मृति और बुद्धि का विकास होता है। ज्ञान-तन्तु शक्तिशाली बनते हैं। इन सबके लिए अलग-अलग प्रयोग हैं। . भावों को बदलने का दूसरा शक्तिशाली साधन है-शब्द। मन्त्रों की पद्धति इसका साक्षी है। मन्त्रों के द्वारा भावों को बदला जा सकता है। यह मूल्यवान् साधन है। मन और शरीर के साथ मन्त्र का बहुत बड़ा सम्बन्ध है। तन्त्र और मन्त्र-दोनों साथ-साथ चलते हैं। तन्त्रशास्त्र के भी मन्त्र बहुत हैं। मन्त्र का प्रयोग शब्द का प्रयोग है। इससे भाव बदलते हैं। एक व्यक्ति के मन में जो भाव बन जाता है, निर्मित हो जाता है, उसे तोड़ना कठिन होता है। कोई समझदार व्यक्ति अपने को भाव तक पहुंचा देता है तो सफल हो जाता है। यह एक महत्त्वपूर्ण चिकित्सा-पद्धति है। कुछ घटनाएं प्रस्तुत करूं। . एक आदमी बीमार था। बहुत घबरा रहा था। एक वैद्य आया। रोगी को देखा। उसकी घबराहट को देखा। वैद्य बोला- 'घबराओ मत। सांझ होते-होते तुम स्वस्थ हो जाओगे, घूमने-फिरने लग जाओगे। तुम्हारी घबराहट मिट जाएगी। मैं ऐसी दवा दूंगा कि रोग मिट जाएगा। वैद्य बाहर गया। राख और नमक की पुड़िया बांधी। रोगी को पुड़िया देते हुए कहा- 'यह बहुत कीमती दवा है। दो पुड़िया लेते ही बीमारी शान्त हो जाएगी। रोगी को इतना विश्वास दिलाया कि स्वस्थ होने की बात भाव तक पहुंच गई। रोगी ने पुड़िया लिया। दूसरी पुड़िया लेते ही उसे स्वस्थता का अनुभव होने लगा और सांझ से पहले ही वह चलकर वैद्य के घर चला गया। न बीमारी और न घबराहट। पुड़िया का चमत्कार नहीं था, चमत्कार था बात का भाव तक पहुंच जाना। आचार्य भिक्षु के समय की बात है। उस समय वे मुनि नहीं बने थे। वे ऊंट पर कहीं जा रहे थे। साथ में एक व्यक्ति था। उसे तम्बाकू २०४ आभामंडल.... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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