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और दूसरा उपाय है वृत्ति के उदात्तीकरण का । मदिरा सेवन का उपाय स्थायी नहीं है। वह पुनः तनाव पैदा करता है । वृत्ति के उदात्तीकरण का उपाय स्थायी है। तनाव पुनः पैदा नहीं होता ।
मदिरापान नशा है तो ध्यान भी एक नशा है। इससे भी मादकता आती है। किंतु यह मादकता कोई बुरा परिणाम नहीं छोड़ जाती। बिलकुल निर्दोष है। इसके साइड इफेक्ट नहीं होते ।
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अध्यात्म ने कहा - 'मनुष्य को अपने आपको भूलने की आवश्यकता है । इसे मिटाया नहीं जा सकता।' तनाव को समाप्त करने की बात को भी नकारा नहीं जा सकता । तनाव को मिटाने का अचूक उपाय है ध्यान | ध्यान के तीन प्रकार हैं- पहला है - कायिक- ध्यान अर्थात् शिथिलीकरण । दूसरा है - वाचिक - ध्यान, मौन इससे वाचिक तनाव मिट जाता है । तीसरा है- मानसिक ध्यान - निर्विचारता । विचारों से तनाव आता है । निर्विचार से तनाव समाप्त होता है । ये तीन साधन हैं। चौथा साधन आन्तरिक विद्युत् का अनुभव | यह सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय है । आन्तरिक स्पन्दनों का अनुभव करना बहुत महत्त्वपूर्ण है। जब व्यक्ति पदार्थ के स्पन्दनों का अनुभव करता है तब तनाव से भर जाता है। जब व्यक्ति अपने भीतर के स्पन्दनों का अनुभव करने लग जाता है, जब वे सुखद स्पन्दन जाग जाते हैं तब सुख का अनुभव होने लगता है; अलौकिक सुख की अनुभूति होती है । यह तेजोलेश्या के स्पन्दन हैं। जब तक ये स्पन्दन नहीं जागते तब तक नयी दिशा नहीं खुलती । जब तक व्यक्ति लाल वर्ण के स्पन्दनों में नहीं जाता तब तक नयी दिशा का उद्घाटन नहीं होता । लाल रंग व्यक्ति को आध्यात्मिक बनाता है । तेजोलेश्या नया दरवाजा खोलती है । उस व्यक्ति की राग की धारा बदल जाती है। मार्गान्तरण हो जाता है। नयी शक्ति का अनुभव होता है ।
मार्गान्तरीकरण के पांच साधन हैं - ध्यान, शिथिलीकरण, मौन, निर्विचारता और आन्तरिक विद्युत् के स्पन्दनों का अनुभव ।
आप यह न मानें कि अभ्यास प्रारंभ करते ही ये सब तनाव मिट जाएंगे। अभ्यास करते रहें । प्रयास चालू रहे । निरंतर साधना चलती रहे । मंजिल निकट आती जाएगी। एक दिन हम निश्चित बिन्दु पर पहुंच
आभामण्डल और शक्ति - जागरण ( १ )
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