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अपेक्षित है। जिस व्यक्ति को धर्म पर गहरी श्रद्धा होती है, जिसका व्यवहार धर्म से ओतप्रोत होता है, वह अपना जीवन सार्थक बना लेता है ।
संतों के आगमन पर आपको किसी प्रकार की ऊपरी तैयारी की. अपेक्षा नहीं है। तैयारी बस एक ही बात की अपेक्षित है। वह अपेक्षा है - अपना हृदय तैयार करने की। संतों के जीवन से प्रेरणा लेकर आप अपना जीवन संयम की दिशा में मोड़ने का प्रयत्न करें, उसे व्रत और संकल्प से भावित करने का प्रयास करें। निश्चय ही आपके जीवन में आनंद का स्रोत फूट पड़ेगा ।
डाबड़ी
६ फरवरी १९६६
धर्म: सर्वोच्च तत्त्व
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