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Achan
अध्याय सूची
अध्याय
1. मत्यु को स्वीकार करना ही सत्य को स्वीकार करना
2. साधना में सत्य का प्रभाव
3. मन से ही प्रेम और मन से ही भक्ति 4. भक्ति ही चैतन्यता का स्रोत 5. चेतन मन से अचेतन मन पर पहुँचने का फल ही सिद्धियाँ 6. त्रिगुणातीत अवस्था का बोध 7. गुरु वह है जो होश जगाये, जागृति लाये, मार्ग दिखाये 8. साधन से सिद्धियों की प्राप्ति
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9. कुण्डलिनी का स्थान 10. जीव की संरचना 11. इड़ा-पिंपला और सुषमणा नाड़ियों का अस्तित्व तथा प्रभाव 12. सात चक्र " 13. कुण्डलिनी जागरण ही समाधि 14. समप्रज्ञात के चार भेदों के बाद असमप्रमात की झलक 15. साकार हमारा चिन्तन-निराकार हमारा मार्ग
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16. साधकों के हितार्थ कुछ खास बातें
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