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अध्याय 1
विश्व संस्कृति और भारतीय संस्कृति
एन्साइक्लोपीडिया ऑफ वर्ल्ड रिलीजन्स (Encyclopaedia of World Religions) के विश्वविश्रुत लेखक श्री कीथ के अनुसार, बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर ग्रीनलैण्ड तक सारे उत्तरी ध्रुव सागर के तटवर्ती क्षेत्रो मे कोई ऐसा स्थान नही है जहा प्राचीन श्रमण संस्कृति के अवशेष न मिलते हो । श्रमण सरकृति के अवशेष सोवियत यूनियन मे साइबेरिया के बेरिंग जलडमरूमध्य से फिनलैण्ड, लैपलैण्ड और ग्रीन लैण्ड तक फैले हुए है । वहा यह सस्कृति प्राचीन काल से निरन्तर न्यूनाधिक रूप से विद्यमान थी. परन्तु बाद में ईसाई धर्म के प्रचारको ने इसे समूल नष्ट कर दिया। उस धर्म के शमन (श्रमण) सन्यासी या तो मारे गये है या उन्होंने आत्महत्या कर ली। साइवेरिया की तुर्क जातियों से चल कर यह धर्म तुर्किस्तान (टर्की) और मध्य एशिया के अन्य देश-प्रदेशो मे भी फेला । दूसरी ओर इस सस्कृति ने मगोलिया, चीन तिब्बत और जापान को भी प्रभावित किया।
साइबेरिया के श्रमण संस्कृति के लोग बडी संख्या मे बेरिंग जलडमरूमध्य को पार करके उत्तरी अमेरिका मे पहुंचे और पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्र के सहारे सहारे आगे बढकर वे सारे उत्तरी अमेरिका मे फैल गये और वहा उन्होने व्यापक स्तर पर श्रमण संस्कृति का विकास और विस्तार किया ।
अफ्रीका में इस्लाम धर्म और आस्ट्रेलिया में ईसाई धर्म के प्रसार के पहले वहां के प्राचीन जातीय धर्मो पर भी श्रमणो के आत्मज्ञान और विज्ञान का उन दोनो महाद्वीपो मे विकास और विस्तार हुआ था ।
इस प्रकार वस्तुत. एशिया, अमेरिका, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया तथा युरोप श्रमण संस्कृति से प्रभावित रहे ।
जैन धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म है। जैन धर्म के प्रवर्तक ऋषभदेव