Book Title: Videsho me Jain Dharm
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 86
________________ 86 विदेशों में जैन धर्म आदि के शासन काल में सम्पूर्ण भारत तथा पाकिस्तान क्षेत्र में जैन धर्म की व्यापक प्रभावना रही। अशोक और सम्प्रति ने सुदूरदेशों में जैन धर्म का प्रचार किया था। महाकवि कल्हणकृत राजतरंगिणी में कश्मीर, पाकिस्तान क्षेत्र एवं उत्तरी भारत में जैन संस्कृति के व्यापक प्रसार के उल्लेख मिलते हैं. आइने अकबरी में अबुल फजल ने लिखा है क्रि राजा अशोक ने जैन धर्म कश्मीर में फैलाया था। मेगस्थनीज, ह्वेनसांग आदि के ऐतिहासिक विवरणों से भी इसी बात की पुष्टि होती है। अध्याय 44 तक्षशिला जनपद में जैन धर्म सम्पूर्ण पाकिस्तानी क्षेत्र में जैन संस्कृति और सभ्यता की सर्वत्र सार्वभौम प्रभावना रही तथा सर्वत्र दिगम्बर जैन मुनि विहार करते थे। पुरुषपुर (पेशावर), गांधार, तक्षशिला, सिंहपुर आदि जैन संस्कृति के प्रसिद्ध प्रभावना केन्द्र रहे। दशरथ पुत्र भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर स्थापित तक्षशिला अति प्राचीन काल में शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था तथा जैन धर्म के प्रचार का भी महत्त्वपूर्ण केन्द रहा। महामुनि चाणक्य, प्रसिद्ध वैयाकरण पाणिनी एवं वैद्यशिरोमणि जीवक ने तक्षशिला में ही शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की थी। सर जॉन मार्शल ने तक्षशिला की खुदाई के आधार पर वहां बहुत-सी प्राचीन इमारतों के अवशेष और लक्षण ढूंढ निकाले हैं 36 । जैन परम्पराओं से पता चलता है कि वह स्थान बाहुबली से सम्बन्धित था जो जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ के पुत्र थे और बाद में वे जैन मुनि हो गये थे। आवश्यक नियुक्ति 37 एव आवश्यक चूर्णी 38 से पता चलता है कि बाहुबलि ने तक्षशिला में धर्मचक्र की स्थापना की थी। जिनप्रभसूरि के विविध तीर्थकल्प में भी बाहुबली को तक्षशिला से सम्बन्धित बताया गया है। इस प्रकार, प्राचीन जैन परम्परा से सम्बन्धित होने के कारण ही जैन श्रमणों एवं श्रावकों के लिए यह स्थान तीर्थस्थल-सा हो गया था. जहां रहकर उन्होंने जैन धर्म एवं दर्शन का अनुसरण तथा प्रचार कार्य किया ।

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