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विदेशों में जैन धर्म
लगभग 300 जैन परिवार आबाद थे। सरहिंद में चक्रेश्वरी देवी का जैन मन्दिर था जिसे यहां कुलदेवी माना जाता था। इस प्रकार, पाकिस्तान के पंजाब के प्रायः प्रत्येक नगर, कस्बे गांवों आदि में जैन श्रावक और व्यापारी रहे हैं जिनके मन्दिर एवं अन्य जैन संस्थायें स्कूल.. कालेज आदि रही हैं। यहां समय-समय प्रभूत जैन साहित्य की रचना भी होती रही है।
वस्तुतः पाकिस्तान बनने से पहले गुजरांवाला में दस जैन मन्दिर और उपाश्रय, अनेक जैन धर्मशालायें, पाठशालायें गुरुकुल, आरामगाहें. समाधिस्थल, स्थानक आदि थे।
इसी प्रकार, पपनाखा में तीन जैन मन्दिर, उपाश्रय, समाधिस्थल आदि थे। किला दीदार सिंह में एक मन्दिर, राम नगर में एक मन्दिर और एक उपाश्रय, मेहरा (जिला सरगोधा ) चन्द्रप्रभु जैन मन्दिर, पिंडदादनखा (जिला जेहलम) में दो मन्दिर खानकाहडोगरा (जिला शेखपुरा ) में एक मन्दिर और एक उपाश्रय थे।
स्यालकोट नगर (जिला स्यालकोट ) मे शाश्वत जिन मन्दिर, स्थानकवासियों का स्थानक और अमीचंद का उपाश्रय था । स्यालकोट छावनी में एक जैन मन्दिर, किला शोभा सिंह में एक मन्दिर, नारोवाल में एक मन्दिर, एक उपाश्रय और एक जैन धर्मशाला थी। सनखतरा में एक जैन मन्दिर और एक उपाश्रय था। इसी प्रकार रावलपिंडी में एक मन्दिर था।
जिला लाहौर में लाहौर नगर में तीन जैन मन्दिर, एक जैन उपाश्रय और एक जैन 'होस्टल था । इसी प्रकार कसूर मे एक मन्दिर और दो उपाश्रय थे। मुल्तान नगर दो जैन मन्दिर, दो उपाश्रय, एक जैन दादावाडी. एक जैन धर्मशाला और एक जैन पाठशाला थी ।
सिंध प्रदेश में, ठाला मे एक मन्दिर और एक दादावाडी थे। गौडी पार्श्वनाथ गांव में दो मन्दिर थे। नगर दट्ठा में एक मन्दिर, हैदराबाद (सिंध) में एक मन्दिर, डेरागाजी खां में एक जैन मन्दिर और एक जैन उपाश्रय थे। करांची सिंध की राजधानी थी और बन्दरगाह तथा व्यापार का अंच्छा केन्द्र था। सन् 1840 में यहां मारवाड़ी, कच्छी, गुजराती, पंजाबी और काठियावाड़ी लगभग 4000 जैन आबाद थे। यहां दो जैन मन्दिर, एक उपाश्रय, एक स्थानक, एक जैन धार्मिक कन्या पाठशाला तथा एक
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