Book Title: Videsho me Jain Dharm
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 110
________________ 110 77 पार्जीटर Page 28. 78 श्री ओझा । विदेशों में जैन धर्म The Puram Text of the Dynasties of the Kali Age, 79 89. A. Confuence of Opposites-C.R. Jain. B. Asiatic Research, Volume III, Page 6. C. Historical Gleemings (Page 42). D. सम्राट प्रियदर्शी (गुजराती) त्रिभुवनदास लहेरचन्द्र शाह । हीरालाल दुगड । E. On the Indian Sect of the Jains. F. मध्य एशिया और पंजाब मे जैनधर्म G. जैन ज्ञान महोदकीय (गुजराती) । H. प्राचीन भारत वर्ष (गुजराती) (गुजरात) शशिकान्त एण्ड कम्पनी, रावपुरा, बडोदरा शशिकान्त एण्ड कम्पनी, रावपुरा, बड़ोदरा 1. प्राचीन म वर्ष (गुजराती) (गुजरात) | (Five Volumes). J. भगवान महावीर स्वामी (गुजराती) शशिकान्त एण्ड कम्पनी. रावपुरा बडोदरा (गुजरात) । K. Ancient India (Four Volumes) शशिकान्त एण्ड कम्पनी. रावपुरा, बडोदरा - - - (गुजरात । 90 डॉ दयाचन्द जैन कृत जैन पूजा काव्य नामक पी ए डी थीसीस (1990) जो सागर विश्व विद्यालय, सागर में प्रस्तुत की गई। 91 जैन शास्त्र भडार, तिजारा (राजस्थान) । 92 सरस्वती मासिक पत्रिका अक्तूबर, 1941 अक । 93 विन्सेन्ट स्मिथ - भारत का प्रसिद्ध इतिहासकार । 94 ऋषभदेव की भरत के साथ सहजन्मा पुत्री ब्राह्मी की प्रवृज्यी । 95 आचार्य जिनसेन आदि पुराण 16/232. 96 कविकल्हणकृत राजतरंगिणी कश्मीर मे जैनधर्म का प्रचार द्वारा उसका समर्थन । 97. A Guide to Texila, Cambridge, 1960, Page 8. आइने अकबरी 98 (1) P.C. Das Gupta, Director, Archaeology, West Bengal - Article in Jain Journal Monthly, 1971 (Pb. 8-13). ( 2 ) U.P. Shah -- Jain Art. 99 A Guide to Taxila, Marshal, Calcutta, 1918, Page 72, 100 बृहत्कल्पसूत्र, रांभाश्य वृत्तिसहित विभाग 2 गाथा 997-999. 101 इतिहासकार प्रोफेसर भैरोमण । 102 धर्मयुग आदि मे जनवरी मई, 1972 में इन नगरों के जैन मन्दिरों के चित्र छपे थे।

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