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विदेशों में जैन धर्म
95 लड़कों की जैन पाठशाला. पुस्तकालय-वाचनालय, पिंजरापोल. व्यायामशाला आदि थे।
पश्चिमोत्तर प्रान्त (सरहदी सूके) में, कालाबाग में, एक मन्दिर और एक उपाश्रय तथा बन्नू में एक जैन मन्दिर, एक जैन उपाश्रय, और अनेक जैन दादावाड़ियां हैं। पंजाब और सिन्ध में लौकागच्छीय बतियों के मन्दिरों और उपाश्रयों में श्री जिनकुशल सूरि की चरणपादुकायें भी स्थापित हैं।
अवाब 53
गांधार और पुष्ट जनपद में जैन धर्म
इस जनपद में जैन धर्म का व्यापक प्रचार प्रसार रहा है। जैन शास्त्रों में इस जनपद का नाम बहली भी आया है। बौद्ध ग्रंथों में गांधार देश का विशेष उल्लेख मिलता है। सिन्धु नदी से काबुल नदी तक का क्षेत्र, मुल्तान और पेशावर गांधार मण्डल में सम्मिलित थे। पश्चिमी पंजाब और पूर्वी अफगानिस्तान भी इसमें सम्मिलित थे। यह उत्तरापथ का प्रथम जनपद था। प्राचीन काल में ऋषभदेव के द्वितीय पुत्र बाहुबली के राज्यकाल में इस जनपद की राजधानी तक्षशिला थी. जिसके खण्डहर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की उत्तर दिशा में बीस मील की दूरी पर विद्यमान हैं। गांधार में ऋषभ पुत्र बाहुबली का राज्य होने से इस जनपद का नाम बहली भी था। महावीर के समय मे पुण्ड्र जनपद का जैन राजा "नम्गति' था104 जिसकी राजधानी पुण्ड्रयर्धन थी। इसका वर्णन जैनागम उससध्ययन सूत्र, भगवती सूत्र और समराइच्च कहा05 में भी आया है। शाकम्मरी तक्षशिला का ही दूसरा नाम है। इसके अन्य नाम हैं टेक्सिला, कुणालदेश, गज़नी, शाह की डेरी, धर्मचक भूमिका और छेदी मस्तक।
सम्राट सम्प्रति मौर्य ने अपने अन्ध-पिता कुणाल के निवास के लिए तक्षशिला में व्यवस्था की थी। वहां सम्प्रति ने कुमाल की धर्मोपासना के लिए एक जैन स्तूप का निर्माण भी कराया था। यहां कुणाल के निवास करने के कारण इसका नाम कुमाल देश पाड़ा। 'प्राचीन काल में ग्राम्सदेव के पधारने पर बाहुबली ने यहां विश्व के