Book Title: Videsho me Jain Dharm
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 90
________________ 90 विदेशों में जैन धर्म कश्वपमेरु (कश्मीर जनपद) में जैन धर्म कवि कल्हणकृत राजतरंगिणी के अनुसार, कश्मीर-अफगानिस्तान का राजा सत्यप्रतिज्ञ अशोक जैन था जिसने और जिसके पुत्रों ने अनेक जैन मन्दिरों का निर्माण कराया तथा जैन धर्म का व्यापक प्रचार किया, जिनका काल पार्श्वनाथ से पूर्व का है। मौर्य सम्राट अशोक (273-236 ईसा पूर्व) जैन था तथा बाद में उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था। आइने-अकबरी के अनुसार, अशोक ने कश्मीर में जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया था। इस बात की पुष्टि कल्हणकृत रजतरंगिणी से भी होती है। पाकिस्तान में जैन धर्म सिन्ध का इतिहास बहुत प्राचीन है तथा पिछले हजारों वर्षों से इस क्षेत्र में जैनधर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार रहा। एक समय था जब सिन्ध की सीमा के अन्तर्गत अफगानिस्तान, बिलोचिस्तान, पश्चिमोत्तर सरहदी सूबा. पंजाब (पाकिस्तान) का उत्तरी भाग, भावलपुर, जैसलमेर आदि समाहित थे। गांधार, पश्चिमोत्तर कश्मीर, तक्षशिला, पेशावर आदि भी इसमें सम्मिलित थे जो सब अति विशाल सिन्धु-सौवीर जनपद के अंगभूत थे। पंजाब का ., दक्षिणी भाग सौवीर कहा जाता था। मार्शल के अनुसार, तक्षशिला में अनेक जैन स्तूप विद्यमान थे। तीर्थकर ऋषभदेव ने तक्षशिला में विहार किया था। हुएनसांग ने लिखा है कि सिंहपुर (जेहलम) स्थित एक जैन स्तूप में जैनी उपासना करते थे। तक्षशिला में प्राप्त स्मारकों में दो सिरों वाले बाज़ (cepts) पक्षी के चिन्ह वाले जैन मन्दिर मिले हैं जिनसे ज्ञात होता है कि पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त में प्राचीन काल से जैन धर्म का व्यापक प्रसार था। बाज पक्षी चौदहवें जैन

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