Book Title: Videsho me Jain Dharm
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

View full book text
Previous | Next

Page 83
________________ विदेशों में जैन धर्म 41 83 नेपाल देश में जैन धर्म नेपाल का जैनधर्म के साथ प्राचीन काल से ही बड़ा सम्बन्ध रहा है। लिच्छवि काल में बिहार से नेपाल में आये लिच्छिवि जैन धर्मावलम्बी थे । आचार्य भद्रबाहु महावीर निर्वाण संवत् 170 में नेपाल गये थे और नेपाल की कन्दराओं में उन्होंने तपस्या की थी जिससे सपूर्ण हिमालय क्षेत्र में जैन धर्म की बड़ी प्रभावना हुई थी 1 34 नेपाल का प्राचीन इतिहास भी इस बात का साक्षी है। उस क्षेत्र की बद्रीनाथ, केदारनाथ एव पशुपतिनाथ की मूर्तिया जैन मुद्रा पद्मासन में है और उन पर ऋषभ प्रतिमा के अन्य चिह्न भी विद्यमान हैं। 19 वें तीर्थंकर मल्लिनाथ और 21वें तीर्थंकर नमिनाथ नेपाल में ही जनकपुर धाम (मिथिला नगरी) पैदा हुए और दोनों तीर्थकरों के चार-चार कल्याणक भी यहां हुये थे । नेपाल में हजारों वर्ष पूर्व में श्रमण सस्कृति की निरन्तर प्रभावना बनी रही है जिसके चिह्न आज भी सैकड़ों स्थानों पर लक्षित होते हैं। ऋषभ पुत्र चक्रवर्ती सम्राट् भरत ने नेपाल के हरिहर क्षेत्र में काली गंडकी नदी के तटपर पुलहाश्रम में तपस्या की थी । जब आचार्य भद्रबाहु नेपाल की कन्दराओं में तपस्या कर रहे थे तब 500 जैन मुनियों का संघ नेपाल आया था और उसने भद्रबाहु से जैनागम का समस्त ज्ञान प्राप्त किया था। इसके बाद नेपाल में जैन धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ । नेपाल के राष्ट्रीय अभिलेखागार में अनेक जैन ग्रन्थ उपलब्ध हैं जिनमें प्रश्न व्याकरण विशेष उल्लेखनीय हैं। पशुपतिनाथ के पवित्र क्षेत्र में जैन तीर्थंकरों की अनेक मूर्तियां विद्यमान हैं। नेपाल की राजधानी काठमाण्डू की बागमती नदी के किनारे पाटन के शखमूल नामके स्थान से खुदाई में लगभग 1400 वर्ष पुरानी भगवान 1008 चन्द्रप्रभु स्वामी की एक खड़गासन मूर्ति प्राप्त हुई है। संयुक्त जैन समाज द्वारा नेपाल में एक विशाल जैन मन्दिर का निर्माण कार्य आरम्भ हो चुका है। इसके लिए एक उदार जैन बन्धु ने लगभग ढाई करोड़ की भूमि

Loading...

Page Navigation
1 ... 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113