Book Title: Videsho me Jain Dharm
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 76
________________ विदेशों में जैन धर्म 76 अध्याय 34 स्कंडिनेविया में जैन धर्म कर्नल टाड अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ "राजस्थान' , ददसे दक /दजपुनपजपमे वरेिंजीदद्ध में लिखते हैं कि मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि प्राचीन काल में चार बुद्ध या मेधावी महापुरुष हुए हैं। इनमें पहले आदिनाथ या ऋषभदेव थे, और दूसरे नेमिनाथ थे। ये नेमिनाथ ही स्कैंडिनेविया निवासियों के प्रथम औडन तथा चीनियों के प्रथम फो नामक देवता थे।" डा. प्राणनाथ विद्यालंकार के अनुसार, सुमेर जाति मे उत्पन्न बाबुल के खिल्दियन सम्राट नेबुचदनेजर ने द्वारका जाकर ईसा पूर्व 1140 के लगभग गिरनार के स्वामी नेमिनाथ की भक्ति की थी और वहां नेमिनाथ का एक मन्दिर बनवाया था। सौराष्ट्र में इसी सम्राट नेबुचदनेजर का एक ताम्रपत्र प्राप्त हुआ है। अध्याय 35 कैश्पिया में जैन धर्म कश्यप गौत्री तीर्थंकर पार्श्वनाथ धर्म प्रचारार्थ मध्य एशिया के बलख (क्रियापिशि या कैश्पिया) नगर गये थे। उसके आसपास के नगरो अमन, समरकन्द आदि मे जैन धर्म प्रचलित था। इसका उल्लेख ईसा पूर्व पांचवी छटी शती के यूनानी इतिहास मे किया गया है। यहा के जैन श्रावक आयोनियन या आरफिक कहलाते थे। बोक ठवसाद्ध मे जो नये विहार और ईंटों के खण्डहर निकले हैं, वे वहां पर कश्यपों के अस्तित्व को प्रकट करते हैं। महावीर का गोत्र कश्यप था और इनके अनुयायी भी कभी-कभी काश्यपों के नाम से विख्यात हुए थे। भौगोलिक नाम कैस्पिया (Caspla) का कश्यप के सादृश है। अतः यह बिल्कुल सभव है कि जैन धर्म का प्रचार कैस्पिया, रूमानिया और समरकन्द, बोक आदि नगरों में रहा था।33.इट

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