Book Title: Videsho me Jain Dharm
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 73
________________ विदेशों में जैन धर्म 73 यात्री बोसा लेते हैं. पोदनपुर स्थित ऋषभ प्रतिमा का ही अंश है। __ मक्का में इस्लाम की स्थापना के पूर्व वहां जैन धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार था । महाकवि रत्नाकर विरचित कन्नड़-काव्य “भरतेश वैभव" के अनुसार, जब सम्राट भरत मक्का गए तो वहां के राजाओं और जमता ने भरत का स्वागत किया था। वहां पर अनेक जैन मनिदर विद्यमान थे। इस्लाम का प्रचार होने पर जैन मूर्तिया तोड दी गई और मन्दिरों को मस्जिद बना लिया गया। इस समय वहां जो मस्जिदें हैं, उनकी बनावट जैन मन्दिरों (बावन चैत्यालयों) के अनुरूप है। इस बात की पुष्टि जेम्स फर्ग्युसन ने अपनी "विश्व की दृष्टि में नामक प्रसिद्ध पुस्तक के पृष्ठ 26 पर की है। मध्यकाल में भी जैन दार्शनिको के अनेक संघ बगदाद और मध्य एशिया गए थे और वहां अहिंसा धर्म का प्रचार किया था। अध्याय 32 इस्लाम और जैन धर्म इस्लाम का प्रवर्तन हजरत मुहम्मद से हआ है। महम्मद साहब स्वय तो प्रचलित अर्थो मे सन्यासी नही थे किन्तु उनको दैवी उपदेशो का दर्शन और ज्ञान मरुस्थलो मे एकान्त जीवन बिताने और तप करने के बाद ही हुआ था। बाद में तो सूफी, दरवेश, ख्वाजा, पीर आदि अनेक गृहत्यागी सन्यासियो के सम्प्रदाय इस्लाम का प्रधान अग बन गए। इस्लाम में सन्यास का जो प्रवेश हुआ है वह ईसाई .सन्यासी सम्प्रदायो, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया मे सर्वत्र बसे जैन श्रमणों और बौद्ध सम्प्रदायो तथा कश्मीर, सिन्ध और निकटवर्ती क्षेत्रों के हिन्दू सन्यासियों के साथ सम्पर्क का ही परिणाम है। इस्लाम के कलदरी सम्प्रदाय के लोग जैन सस्कृति से विशेष प्रभावति रहे है तथा वे जैन धर्म के अहिंसा आदि सिद्धान्तो को मानते हैं। हजरत मुहम्मद के पूर्व मक्का में जैन धर्म विद्यमान था। मक्का में इस्लाम का प्रचार होने पर उन मन्दिरों की मूर्तियां तोड दी गई और उन मन्दिरों को मस्जिद बना लिया गया। इस समय वहां पर जो मस्जिदें हैं,

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