Book Title: Videsho me Jain Dharm
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 49
________________ विदों मे जैन धर्म मौर्य सम्राट और जैन धर्म का विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार महावीर निर्वाण (527 ईसा पूर्व) के 50 वर्ष बाद 477 ईसा पूर्व में मगध में नन्दवंश का राज्य स्थापित हुआ और 155 वर्ष पर्यन्त 322 ईसा पूर्व तक रहा। मौर्यवंशी सम्राट चन्द्रगुप्त ने चाणक्य के सहयोग से तक्षशिला (पंजाब) (पाकिस्तान) में अपना राज्य स्थापित किया। श्रेणिक बिम्बसार, नन्द और चन्द्रगुप्त मौर्य का अधिकार पजाब-सिन्धु पर भी था। सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने गांधार में अपना राज्य स्थापित करने के बाद सन् 322 ईसा पूर्व में सन् 298 ईसा पूर्व तक अफगानिस्तान, गांधार पंजाब से लेकर मगध देश तक राज्य किया। इसकी गांधार देश की राजधानी तक्षशिला थी। 24 वर्ष राज्य करने के बाद इसका देहान्त हो गया। यूनान के महाप्रतापी सम्राट सिकन्दर ने 326 ईसा पूर्व में पंजाब पर चढ़ाई की। रावलपिंडी के उत्तर मे तक्षशिला (गांधार-बहली) के राजा को सिकन्दर की अधीनता स्वीकार करनी पड़ी। सिकन्दर ने पश्चिमी कन्धार के राजा केकय देश के अवर्ण को रौंदते हुए जैन नेरश महाराजा पुरु को भी परास्त किया। किन्तु सिकन्दर के सैनिकों ने. 327 ईसा पूर्व में और आगे बढ़ने से इन्कार कर दिया। भारत से लौटते समय, 323 ईसा वर्ष पूर्व तक उसका देहान्त हो गया। चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैन महामात्य चाणक्य की सहायता से उसका राज्य छीन लिया। मगध का सम्राट बन जाने के बाद चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने चन्द्रगुप्त के साम्राज्य का विस्तार कर उसे देशव्यापी बनाया और उसे सुदृढ़ तथा संगठित किया। ___ सन् 305 ईसा पूर्व में मध्य एशिया के महान शक्तिशाली सम्राट यूनानी-सम्राट सेल्युकस निकेतर ने भारत पर भारी आक्रमण किया जिसमें सेल्युकस की पराजय हुई और उसके परिणाम स्वरूप सन्धि हुई जिसके अनुसार सम्पूर्ण पंजाब. सिन्ध, काबुल. कन्धार, बलोचिस्तान, कम्बोज, हिरात, किलत, लालबेला, पामीर, पदखशां पर भी चन्द्रगुप्त मौर्य का

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