Book Title: Videsho me Jain Dharm
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 53
________________ 53 विदेशों में जैन धर्म सर्वसाधारण प्रजा के लिए सात सौ दानशालों स्थापित की. और दो हजार धर्मशालायें बनवाई। भारत के अतिरिक्त, सम्राट सम्प्रति ने अरब देशों, ईरान् सिंहलद्वीप, रत्नद्वीप, खोतान, सुवर्णभूमि, फूनान, चम्पा, कम्बुज, यवद्वीप (जावा). स्वर्णद्वीप (सुमात्रा). बोर्नियो बाली आदि में जैन धर्म के प्रचारक भेजे थे तथा मौर्य साम्राज्य के वैदेशिक विभाग तथा राजदूतावासों की मार्फत जैन धर्म के प्रचार का कार्य व्यवस्थित और संचालित किया था। सम्राट सम्प्रति के धर्म गुरु जैनाचार्य सुहस्ति (उज्जैन) थे जो 236 ईसा पूर्व में स्वर्गस्थ हुए। सम्प्रति ने अपने अधीन सब राजाओं, सामंतों आदि को आदेश दिया था कि वे अपने-अपने राज्यो में भी जैन मन्दिरों में अट्ठाई महोत्सव करें, सुविहित जैन श्रमणों को नमन करें तथा अपने देशों में जैन साधुओं को सब प्रकार की विहार की सुविधायें दें। उनको यह भी आदेश था कि वे स्वयं जैन धर्म स्वीकार करे और अपनी प्रजा को जैन धर्मी बनायें।73 प्रसिद्ध इतिहासकार विन्सेन्ट स्मिथ के अनुसार,74 सम्राट सम्प्रति ने अरब, तुर्किस्तान आदि यवन देशों में भी जैन सस्कृति के केन्द्र (सस्थान) स्थापित किये थे। प्रोफेसर सत्यकेतु विद्यालंकार का कथन75 है कि एक रात्रि सम्राट सम्प्रति के मन में यह विचार आया कि अनार्य देशों मे भी जैन धर्म का प्रचार हो और साधु-साध्वियां स्वच्छन्द रीति से सब देशों में विचरण करके सदा जैन धर्म का प्रचार व प्रसार कर सकें, अतः उसने अनार्य देशों में भी जैन प्रचारकों और जैन साधुओं को जैन धर्म के प्रचार के लिए भेजा। साधुओं ने राजकीय प्रभाव से शीघ्र ही वहां की जनता को जैन धर्म और जैन आचार-विचारों का अनुयायी बना लिया। इस प्रकार, अनार्य देशों को भी आर्य देश बना लिया गया। तीर्थकर महावीर से लेकर मौर्य सम्राट सम्प्रति के समय तक भारत में साढे पच्चीस आर्य देश थे जहां पर जैन धर्म का सर्वाधिक प्रभाव था। परन्तु आर्य देशों की सीमायें समय-समय पर बदलती रहती है। सिन्धु-सौवीर, गाधार और कैकय आदि प्राचीन काल में आर्य देश थे जो पाकिस्तान बन जाने पर अनार्य देश बन गए। प्रोफेसर जयचन्द्र विद्यालंकार का कथन है कि मौर्य सम्राट सम्प्रति के समय में उत्तर-पश्चिम के अनार्य देशों में भी जैन धर्म के प्रचारक भेजे

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