Book Title: Uttaradhyayanani Uttararddha
Author(s): Chirantanacharya, Kanchansagarsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 333
________________ प्रतीकम् गा. स. पत्राकः प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः । प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः। प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः असंखकालमुक्कोसा १४६२ ३१३ | मह ासगओ राया ५५३ १३६ अह राया तत्थ संभतो ५५४ १३६ | अहीणपचिंदियत्तपि ३०७ ७३ " " १४७७ ३१५ "ऊसिएण छत्तेण ७९३ १७८ अहवा तइयपोरिसीए १११८ २५८ महीवेगंतदिट्टीए ६३८ " " १४८७ ३१५ " कालम्मि संपत्ते १५९ ४५ , सपरिकम्मा १११० २५६ अहे वयइ कोहेणं २८१ १४९६ ३१५ , केसरंमि उजाणे ५५१ १३६ अह सा भमरसंणिभे ८१२ १८० अहो ते अजर्व साहू २८४ असंखयं जीविय मा ११५ ३३ ,चोइसहिं ठाणेहिं ३३२ ७९ , सारही तो ७९९ १७८ ते णिजिओ कोहो २८३ असंखभागो पलियस्स १५६४ ३२० " जे संवुडे मिक्खू १५२ ४५३ ,,, विचिंतेइ १०५८ २२२ , वण्णो महो रूप ७०४ १६० असासए सरीरंमि ६१३१४८ , तत्थ अइच्छंत ६०५ १४६ " सा रायवरकन्ना ७८९ ११६ अंगपञ्चंगसंठाणं ५१३ असासयं दटु इमं विहारं ३३७ १०८ , तायओ तत्थ ५४८ । १०९ ८३२ १८० अंगुलं सत्तरत्तेणं १००५ २१२ असिणपरितावेणं ५६ १६ , तेणेव कालेणं ८३६ १८४ , से तत्थ अणगारे ९५२ २१ अंतमुहुत्तमि गए १३५१ | असिप्पजीवी अगिहे ५०९ १२३ , " , ९५१ २०३ "सो, ७९६ १७७ अंतोमुहुत्तमद्धं लेसाणं १३३६ २९३ | असीहिं अयसिवण्णेहिं ६५५ १५३ गते तत्थ सीसाणं ८४५ १८५ | सोऽपि रायपुत्तो ८१८ १८० अंतो हिअयसंभूया ८७६ १९० असुरा नागसुवण्णा १५७८ ३२२ , पच्छा उइजति ८९ २५ अह सो सुगंधगंधिए ८०६ १७९ अंधयारे तमे घोरे ९०६ १९४ अस्सकन्नी य बोद्धब्बा १४७२ ३१४ , पचरसहिं हाणेहिं ३३६ ७९ अहं च भोगरायस्स ८२५ १८१ अंधिया पुत्तिया चेव १५१९ ३१७ अस्संखिजाणोसप्पिणी० १३२४ २९१ , पंचहिं ठाणेहिं ३२९ ७८ अहंपि जाणामि जहेह ४३२ १०४ आ भस्सा हत्थी मणुस्सा मे ७१२ १६१ , पालियस्स धरणी ७६२ १७१ महाउयं पालइत्ता सू.८६ २५२ आउकायमइगओ २९५ ७२ अस्ले अइह के वुत्ते ८८८ १९२ , भवे पहना ८६४ १८८ माउत्तया जस्स ७३८ | अह अट्ठहिं ठाणेहिं ३३० ७८ अहमासि महापाणे ५७५ १४० अहिज्ज वेए परिविस्स ४४९ १०९ आगए कायवुस्सग्गे १०३७ Aa , अन्नया कयाई ७६६ १७१ | मह मोणेण सो भयवं ५५६ १३६ | अहिंस स च भत्तेणगं ७७० १७२ | भागासे गंगसोउव्व ६३६ 000०. Jain Education a l For Privale & Personal use only inelibrary.org

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