Book Title: Uttaradhyayanani Uttararddha
Author(s): Chirantanacharya, Kanchansagarsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 347
________________ •*•*•*•· पत्राङ्कः २३० प्रतीकम् गा. सू. निस्संकिय निकंखिय १०९१ निंदणयाए णं भंते! सू. २० नीआवित्ती अचवले १३१८ २९१ नीला सोगसंकासा २३६ नीहरंति मयं पुत्ता नेरइयतिरिक्खाऊ नेरइया सत्तविहा नेव परहरिथयं कुवा १२९६ २८७ ५६२ १३८ १२७८ २८३ १५२९ ३१८ १९ ६ नो अइमायाए " 35 23 33 इत्थी कह इत्थीहिं सर्दि इंदिग्गज् इत्थीणं इंदियाई सू. ४ सू.५ १२६ ४५९ १११ २२५ सू. ७ 33 पुच्वरयं , सू. ८ नो रक्खीसीसु गिज्झेना २२५ विभूसाणुवाई सू. ११ در 33 33 नो निगथे इत्थी Jain Educationational सू. १० सू. ६ १२७ १२६ १२५ ५९ १२६ १२७ ५९ १२७ प्रतीकम् नो सक्कियमिच्छई " सदरूवरस० गा. सू. पत्राङ्कः ४९८ १२१ प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः पढम पोरिस सज्झायं १००९ २१२ सू१२ १२८ पढमं पोरिसिं सज्झायं १००३ पण्णवाई दुहिले परिक्कं अवस्पयं पञ्चक्खाणेण भंते! पच्चयस्थं च लोगस्स ५७२ १३९ पडति नरए घोरे पक्किमणे णं भंते! सू.२५ २३७ पडिक्कमामि पसिणाणं ५७८ पडिक्कमित्ताण निस्सलो १०३२२२७ पडिकमित्तु १०४० २१८ १४१ " पडिणी च बुद्धा ६ पडिलेहणं कुणतो पडिलेहेइ पमते पडिलेहेइ पमत्तो ३३५ ७९ ७१ २० सू. २७ २३८ ८६३ १८८ १७ पडि पुच्छणा णं भंते! सू. ३४ पढिरूवयाए णं भंते! सू.५६ २४० २४६ १०२० २१५ ५३६ १३२ ५३५ १३२ 33 55 39 १०३४ पढमा आवसिया नामं ९९३ पढमे एव महारा ७१७ पढमे वासचकमि पणयाल सय सहस्सा पणवीस सागरा ऊ १६०८ पणवीसाए भावणासु च ११५१ पणीयं भत्तपाणं च पत्तेयसरीरा उ पनरसतीसइविहा पयणुकोहमाणो य परमत्थसंथवो परिजुष्णेहिं पत्थेहिं परिजूरइ ते सरीरयं 39 23 33 २१२ २१७ २२० १६२ १६२४ ३२५ For Private & Personal Use Only १४३१ ३०९ ३२४ ३६४ १२९ ५१६ १४६७ ३१४ १५६९ ३२१ १६० ७०० ३२० २९१ १०८८ २२९ ६० १.७ ७४ ७४ ३१० ३११ प्रतीकम् परिजूर ते सरीरयं 33 39 33 " 33 33 , 55 " परिमंडलसंठाणे १४१५३०५ परियट्टणयाए णं भंते! सू.३५ २४० परिवाडिए न चिट्टिज्जा ३२ ९ परिव्वयंते अनियन्त० ४५४ १०९ परीसहाणं पविभत्ती गा. सू. पत्राङ्कः ३१२ * ३१३ ७४ ३१४ ७४ ३१५ ७४ ४९ परीसहा दुब्विसहा अणेगे ७७५ १७३ परेसु गास मेसिज्जा ७८ २३ ८४८ १८५ १५९२ ३२३ पलाल फास तत्थ पलिभोवममेगं तु 33 १४ 33 33 " १५९३ ३२३ पलिभोवमस्स भागो १५६३ ३२० पलिओपमं जहा १३४३ २९४ पलिभोवमा तिनि उ १५७३ ३२१ य १५७२ ३२१ 33 *QX8XXX jainelibrary.org

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