Book Title: Uttaradhyayanani Uttararddha
Author(s): Chirantanacharya, Kanchansagarsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 354
________________ उत्तरा० अवचूर्णिः परिशि.१ गाथानां ॥३४३॥ सूत्राणा श्वाकारादिक्रमः प्रतिकम् गा.सू. पनाङ्कः प्रतिकम् ना.सू. पत्राः प्रतिकम् गा. सू. पत्राङ्कः । प्रतिकम् गा. सू. पत्राङ्कः संतई पप्पडणाइया १४८५ ३११ संमहमाणे पाणाणि ५३२ १३२/ सागरा सत्तबीसं तु १६. ३२४ । साहु गोयम! पञ्चा ७८५ १९९ " " , १४९४ ३१६ | संमुच्छिमाण एसेव १५७० ३२५ सागरा सहिया दुखि १५९५ ३२३ " " ८९० १९२ """ १५०४ ३७ संरभसमारंभ ९४१ २०१ ,, सत्त १५९७ ३२४ " " " ८९५ १९२ १५.३ ३७ " " ९४३ सागरोपममेगं तु १५३३ ३१८ १९३ १५२३ ३१८ ९ ४५ २०१ सा पम्वईया संती ८१४ १८० ९०५ १९४ १५३२ ३१८ संवट्टगवाए य १४९२ ३१५ सामाइएण भंते! स्.२२ २३७ " " " ९० १९४ १५४७ ३११ संवेगेण भंते! जीवे सू.१५ सामाइऽथ पढमं १०९२ २३० " " " ११६ १९६ १५५६ संसयं खलु सो कुणई २५३ ६४ सामायारि पवक्खामि ९९२ २१.. साउस्स दरिसणे तस्स ६०७ १४६ १५६२ ३२० संसारत्था उ जे जीवा १४४१ ३१ सामिसं कुललं दिस्सा ४८६ ११७ सिज्जा दढा पाउरण ५२८ १३३ १५०१ ३२९ य सिद्धा य १४२९ ३०७ सारीरमाणसा चेव ६४५ १५२ सिद्धाइगुणजोगेसु ११५४ २६४ , १५९० ३२३ संसारस्था य सिद्धा य १६२० ३२५ सारीरमाणसे दुक्खे ९११ | सिद्धाणणतभागो १२९० २८५ तेऽणाई १३८५ संसारमावन परस्स ११८ ३५ सासणि विगयमोहाण ४९२ ११८ सिद्धाण नमो किचा १९९ संति एगेहिं भिक्खूहि १४७ सागरंतं जइत्ताणं ५८७ १५३ साहारणसरीरा उ१४६९ ३१४ सिद्धाण संधवं किच्चा १०३३ २१७ संतिमेय दुवे ठाणा १२९ ३९ सागरा अउणतीसं तु १६१२ ३२५ साहीयं सागरं इथं १५९१ ३२३ | सीओसिणा देसमसंथारं फलग पीठं ५३३ १३२ , अउणवीसं तु १६०२ ३२४ | साहु गोयम ! पन्ना ते ८५९ १८७ सगा य ७७६ १७३ संनाइपिंडं जेमेइ ५५५ १३४ | ,भट्टवीसं तु १६१ ३२४ सीया उपहा य निद्धा य १३९३ ३०५ संपजलिया घोरा८८१ १९० , इकतीस तु १६१४ ३२४ " " " ८७० सीसेण एवं सरण उवेह ३८६९ संबुद्धो सो तहिं ७६८ १७१ | सागरा इक्वीस तु १६०४ ३२५ | " " " ८७५ ८७५ १९० सुआणि मे पंच ६९० १४१ संभोगपञ्चक्खाणेण सू.५७ २४३ | सागराणि य सत्तेव १५१९ ३२३ । , , , ८८.१९० | सुइंच लढुं सर्दू च१०४ XOXOXOXX X ४२ १८८ Jain Education a l For Private & Personal use only Yamjainelibrary.org

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